राजकोट : कोरोना महामारी की दूसरी लहर को ज्यादा संक्रामक माना जा रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि देश में पाए गए कोरोना के मौजूदा स्वरूप का संक्रमण लोगों में तेजी से फैल रहा है और उन्हें बीमार बना रहा है। एक नए सर्वे में संक्रमण के फैलाव पर नई बात सामने आई है। सर्वे में कहा गया है कि सड़कों पर घूमने वाला युवा वर्ग संक्रमण फैलाने का सबसे बड़ा जरिया है क्योंकि यह वर्ग मानता है कि उनकी शारीरिक प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी पावर) अन्य लोगों की तुलना में ज्यादा है। टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक सर्वे में कहा गया है कि ऐसी सोच रखने वाले युवा शहर में संक्रमण फैलाने में ‘सुपर स्प्रेडर’ की भूमिका निभा रहे हैं।
सौराष्ट्र विश्वविद्यालय के शोध में खुलासा
राजकोट स्थित सौराष्ट्र विश्वविद्यालय के रिसर्चर्स ने अपने सर्वे में इस बात का विस्तार से ब्योरा दिया है। शोधकर्ताओं ने अपने सर्वे के जरिए वायरस का ‘सुपर स्प्रेडर’ कौन है, यह पता लगाने की कोशिश की है। असिस्टेंट प्रोफेसर हसमुख छावड़ा और डिंपल रमानी ने 1,080 लोगों पर सर्वे किया। ये लोग बिना किसी ठोस वजह के सड़कों पर घूमते पाए गए। इनमें से 71 प्रतिशत की उम्र 15 से 40 वर्ष के बीच थी।
बिना वजह सड़कों पर घूमते हैं युवा-सर्वे
अपने सर्वे के बारे में रमानी ने कहा, ‘आम तौर पर सब्जी विक्रेता और ग्रासरी के दुकानदारों को सुपरस्प्रेडर के तौर पर देखा जाता है। लेकिन हमने पाया है कि वास्तव में किशोर और युवा संक्रमण फैलाने के लिए जिम्मेदार हैं। ये सड़कों पर न केवल बिना वजह घूमते हैं बल्कि सोशल डिस्टैंसिंग और मास्क पहनने जैसे कोविड प्रोटोकॉल का पालन भी नहीं करते हैं।’ दरअसल, दोनों शोधकर्ताओं ने पाया कि लॉकडाउन जैसी स्थिति लागू होने और नाइट कर्फ्यू के बावूजद शहर में प्रतिदिन के संक्रमण के मामलों में कमी नहीं आ रही है। इसका पता लगाने के लिए दोनों असिस्टेंट प्रोफेसरों ने सर्वे करने का फैसला किया।
राजकोट में कम नहीं हो रहे संक्रमण के केस
पिछले साल महामारी की शुरुआत होने के बाद से राजकोट में संक्रमण के 38,305 मामले सामने आ चुके हैं। रिसर्चर्स का कहना है कि युवा खुद को घर की चारदीवारी में सीमित नहीं रख पा रहे हैं। वे घर से बाहर निकलने के लिए अपने परिजनों के सामने तरह-तरह के बहाने बनाते हैं। सर्वे के मुताबिक 40 से 45 साल के बीच 17 प्रतिशत लोग ऐसे थे जो बिना किसी वजह के सड़कों पर घूमते पाए गए। जबकि 56 साल के लोगों का प्रतिशत 12 था।
‘युवा पीढ़ी को लगता है कि उनकी इम्युनिटी ज्यादा है’
रमानी ने कहा, ‘हमने पाया कि किशोर और युवा पीढ़ी वास्तव में सुपरस्प्रेडर है क्योंकि ये लोग अपने माता-पिता को भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल और बहानेबाजी कर घर से बाहर निकलते हैं।’ सौराष्ट्र यूनिवर्सिटी के मनोविज्ञान विभाग के अध्यक्ष योगेश जोगसन ने कहा, ‘यह युवा पीढ़ी शादीशुदा नहीं है और इनके पास परिवार की जिम्मेदारी नहीं है। इनको लगता है कि इनकी प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा मजबूत है। ऐसे में परिवार के बुजुर्ग और बच्चे संक्रमित हो जाते हैं क्योंकि ऐसे युवा अपने अंदर वायरस लेकर घूमते हैं।’