आदिवासी विद्यार्थियों में सिकल सेल की जांच को लेकर विश्वविद्यालय ने लगाया शिविर

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जनसंख्या के आधार पर मध्य प्रदेश में एक करोड़ सत्तर लाख आदिवासी हैं, जिसमें 21 प्रतिशत लोग सिकल सेल रोग से पीड़ित है। सरकार ने इन लोगों के लिए येलो कार्ड की व्यवस्था कर रखी है जिससे अस्पतालों में इनका आसानी से इलाज हो सके। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले कालेजों में 60 हजार आदिवासी विद्यार्थी हैं।,अब इनकी सेहत की जांच को लेकर विश्वविद्यालय ने जिम्मेदारी उठा ली है। तक्षशिला परिसर स्थित स्वास्थ्य केंद्र में शिविर लगाया, जिसमें 13 अध्ययनशालाओं के विद्यार्थियों की जांच की गई।

विश्वविद्यालय प्रशासन ने बीते दिनों विभागाध्यक्षों से विद्यार्थियों की जानकारी ली थी। फिर सिकल सेल की जांच के लिए शिविर लगाया। अरबिंदो अस्पताल की टीम विद्यार्थियों का स्वास्थ्य परीक्षण करने में लगी है। शिविर का उद्देश्य आलीराजपुर, बड़वानी, धार, झाबुआ, खंडवा, खरगोन से आने वाले विद्यार्थियों में रोग का पता लगाने के लिए रक्त से जुड़े नमूने लिए गए। टोटल ब्लड काउंट और एचबी-एचपीएलसी/एचबी-इलेक्ट्रोफोरेसिस का स्तर देखेंगे। विश्वविद्यालय की विभिन्न अध्ययनशालाओं के 300 विद्यार्थियों की पहले चरण में जांच की है।

जल्द ही लगेगा दूसरे चरण का शिविर – मौके पर कुलपति डा. रेणु जैन, रजिस्ट्रार अनिल शर्मा, रेक्टर डा. अशोक शर्मा, आनंद मिश्रा, समन्वयक डा अंजना जाजू, लैब प्रमुख डा. अमित वर्मा आदि उपस्थित थे। कुलपति डा. रेणु जैन के मुताबिक इस परीक्षण कार्यक्रम के माध्यम से आदिवासी क्षेत्रों से आने वाले विद्यार्थियों में बीमारी का पता लगाना है। इसे लेकर विश्वविद्यालय और श्री अरबिंदो विश्वविद्यालय के बीच अनुबंध हुआ है। जल्द ही दूसरे चरण का शिविर भी आयोजित किया जाएगा। कुलपति डा. जैन ने बताया कि पायलट प्रोजेक्ट के तहत विश्वविद्यालय पचास हजार विद्यार्थियों में सिकल सेल की जांच करेगा। इसके लिए कालेजों में भी शिविर लगाने के निर्देश देंगे। कुलपति का कहना है कि हमारे विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले आदिवासी विद्यार्थियों को लेकर हमें चिंता है।

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