शहर के रेलवे स्टेशन रोड पर स्थित निजी हॉस्पिटल के परिसर के भीतर संचालित आरोग्य मेडिकल की जांच के लिए शनिवार की दोपहर करीब 12 बजे ड्रग इंस्पेक्टर मनीषा धुर्वे अपने कनिष्ठ कर्मचारियों के साथ पहुंची। इस दौरान करीब 1 घंटे तक उनके द्वारा मेडिकल स्टोर्स के कागजों की जांच की गई। कोरोना महामारी के दूसरे दौर में जब सक्रमण की रफ्तार बहुत अधिक थी इस दौरान आरोग्य मेडिकल स्टोर्स से नकली दवा महंगे दाम पर बेचे जाने की बात सामने आ रही है।
हालांकि ड्रग इंस्पेक्टर मनीषा धुर्वे द्वारा मेडिकल स्टोर्स की जांच के विषय में विस्तार में जानकारी तो नहीं दी गई और इसे उनके द्वारा केवल एक रूटीन कार्यवाही बताई गई। हमारे द्वारा उनसे जानकारी ली गई की नकली दवा बेचने के मामले में उनके द्वारा जांच की जा रही है तब भी वह हमारे सवालों से बचती नजर आई।
इस पूरे मामले में जानकारी यही मिल रही है कि हरियाणा स्थित पंचकूला में संचालित रीथमका फार्मासिटीकल कंपनी द्वारा कोरोना संक्रमित मरीज को दी जाने वाली एक दवा से फेवी मैक्स 400 एमजी टेबलेट बड़ी मात्रा में नकली दवाई पूरे देश में सप्लाई की गई थी।
पुलिस द्वारा रीथमका फार्मासिटीकल कंपनी पंचकूला हरियाणा के संचालक को गिरफ्तार कर लिया गया, जिसके बाद पूरे देश में जिस स्थान पर यह दवाई सप्लाई की गई थी। इसी कड़ी में शहर के स्टेशन रोड स्थित निजी अस्पताल परिसर के भीतर संचालित आरोग्य मेडिकल स्टोर्स की जांच की जाने की जानकारी मिल रही है।
सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार कोरोनावायरस को दी जाने वाली दवा फेवी मैक्स 400 एमजी 10 टेबलेट एक पत्ता ₹550 में आता है जिसे मेडिकल स्टोर्स संचालक द्वारा 29 सौ रुपए में बेचा गया था।
दरअसल इस जांच के कई मइने इसलिए भी निकाले जा रहे हैं क्योंकि ड्रग इंस्पेक्टर मनीषा धुर्वे जबलपुर से स्थानांतरित होकर बालाघाट शुक्रवार को ही पहुंची। उन्होंने पदभर ग्रहण किया और शनिवार की सुबह अपने पहले कार्य दिवस के दिन ही आरोग्य मेडिकल स्टोर्स जांच के लिए पहुंच गई।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार स्थानीय स्तर पर प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा जांच और कार्यवाही नहीं किए जाने के कारण यह मामला ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ था।
देखना अब यह है की नवागत ड्रग इंस्पेक्टर द्वारा बालाघाट में अपने कार्य दिवस के पहले दिन जिस अंदाज में शहर के स्टेशन रोड पर स्थित निजी अस्पताल परिसर के भीतर संचालित आरोग्य मेडिकल स्टोर्स की जांच शुरू की गई है वह किस अंजाम तक पहुंचती है। या फिर पूर्व के अधिकारियों द्वारा की गई कई जांच की तरह ही फाइलों गुम हो जाती है पूरे मामले में लीपापोती कर दी जाती है।
यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जब जिले के लोग अपने संक्रमित परिजनों के लिए एक-एक दवा और इंजेक्शन की दौड़ लगा रहे थे इस दौरान इस आपदा में समय को अवसर में कौन बदल रहा था?