क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड लाफ्टर डे? जानें इसका इतिहास और फायदे

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बहाना चाहे कोई भी हो, लेकिन हंसना जरूरी है। इसी सोच के साथ हर साल मई महीने के पहले रविवार को विश्न हास्य दिवस (World Laughter Day) मनाया जाता है। इस साल 7 मई को ‘वर्ल्ड लाफ्टर डे’ मनाया जाएगा। लोगों में बढ़ रहे स्ट्रेस और डिप्रेशन जैसी दिक्कत को दूर करने और लाफ्टर थेरेपी के प्रति अवेयरनेस बढ़ाने के उद्देश्य से हर साल दुनिया भर में ‘विश्व हास्य दिवस’ मनाया जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि आज दुनिया भर में मनाये जानेवाले इस दिन की शुरूआत भारत में ही हुई थी।

वर्ल्डवाइड लाफ्टर योगा मूवमेंट के संस्थापक डॉ. मदन कटारिया के प्रयासों की वजह से इस दिन को मनाने की शुरुआत हुई। पहली बार 10 मई 1998 को भारत के मुंबई में पहली विश्व हँसी दिवस सभा हुई थी। इसमें अंतर्राष्ट्रीय हँसी क्लबों के लगभग 12,000 सदस्यों ने हिस्सा लिया और इस खुशी के दिन पर जमकर हंसे थे। इसके बाद “हैप्पी-डेमिक” मनाया गया, जो भारत के बाहर मनाया जाने वाला पहला विश्व हँसी दिवस था। यह कार्यक्रम 9 जनवरी 2000 को कोपेनहेगन, डेनमार्क में आयोजित किया गया था। इसमें भी लगभग 10,000 लोगों ने भाग लिया, इसे “गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स” में डर्ज कराया गया था। उसके बाद से हर साल मई महीने के पहले रविवार को वर्ल्ड लाफ्टर डे मनाया जाने लगा।

क्या है मकसद?

विश्व हास्य दिवस मनाए जाने का उद्देश्य लोगों को हंसने और हंसाने के महत्त्व को समझाना है। इसके साथ ही लोगों को लाफ्टर थेरेपी के लिए जागरुरक और प्रेरित करना भी है। डॉ. मदन कटारिया का मानना था कि हंसने से चेहरे के नर्व्स और फेशियल एक्सप्रेशन्स, हमारे इमोशन्स पर पॉजिटिव इफेक्ट्स डालते हैं। साथ ही हंसने से स्ट्रेस और डिप्रेशन को भी दूर करने में मदद मिलती है। इसलिए उन्होंने लाफ्टर थेरेपी के प्रति जागरूकता बढ़ाने की कोशिश की।

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