कुछ साल पहले भारत में ईवी (Electric Vehicle) की बड़ी धूम मची थी। सरकार इसे प्रोमोट कर रही थी। केंद्र सरकार इसेक प्रोमोट करने के लिए भारी-भरकम सब्सिडी दे रही थी। राज्य सरकारें भी इसे बढ़ावा देने के लिए एक के बाद एक घोषणा कर रही थी। कई राज्यों ने इस पर अलग से सब्सिडी देना शुरू किया तो कुछ ने इसका रजिस्ट्रेशन फ्री कर दिया। लेकिन अब लोगों के सर से ईवी का भूत उतरने लगा है। एक सर्वे से खुलासा हुआ है कि अब 51 फीसदी मालिक फिर से डीजल-पेट्रोल वाली कार पर लौटने वाले हैं।
पार्क+ ने इलेक्ट्रिक व्हीकल के 500 से भी ज्यादा मालिकों के बीच एक सर्वेक्षण किया। इससे यह पता चला है कि 88% ईवी मालिक अपने वाहनों को बाहर निकालने के बाद चार्जिंग स्टेशन की चिंता में ही घुलते रहते हैं। उन्हें लगता है कि उनके व्हीकल की रेंज उतनी तो है नहीं। इसलिए वे सुलभ, सुरक्षित और कार्यात्मक चार्जिंग स्टेशन खोजने के बारे में अधिक चिंता का अनुभव करते हैं।
पार्क प्लस के सर्वे में 51 फीसदी इलेक्ट्रिक कार मालिकों ने कहा कि फिर से वह इलेक्ट्रिक व्हीकल नहीं खरीदेंगे। उनकी अगली खरीदारी तो पेट्रोल या डीजल या फिर गैस वाली कार होगी। उनमें से कुछ को तो लगता है कि कार कंपनी ने उन्हें पहली बार में ही सेकेंडहैंड ईवी की चाभी पकड़ा दी।