जान दांव पर लगाकर उफनाती नदी पार कर रहे किसान और स्कूली बच्चे

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जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर दूर स्थित लिंगा और परसवाड़ा बोरी के बीच बहने वाली नदी पर पुल नहीं बनने के कारण यहां से आवागमन करने वाले किसान और स्कूली बच्चे जान जोखिम में डालकर नाव के सहारे प्रतिदिन नदी पार कर रहे हैं जिसे देखकर लग रहा है कि इस प्रकार से नाव के सहारे प्रतिदिन स्कूली बच्चे और किसान के नदी पार करने से कहीं ना कहीं कोई घटना घट सकती है ।
आपको बता दे की जिला मुख्यालय बालाघाट से महज 10 किलोमीटर दूर परसवाड़ा विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत आने वाले ग्राम लिंगा ,परसवाड़ा से बोरी के बीच बहने वाली घिसर्री नदी से नाव के सहारे दिन में दो बार जान जोखिम में डालकर उफनाती नदी को पार करने के लिए मजबूर है, सैकड़ो स्कूली मासूम बच्चे और यहाँ के किसान। दरअसल लिंगा परसवाड़ा से बोरी के बीच बहने वाली घिसर्री नदी पर वर्षो से ग्रामीण एक पुलिये की मांग कर रहे है ताकि स्कूली बच्चों और किसानों को आने जाने में अपनी जान दांव पर ना लगाना पड़े, किंतु हर बार यहाँ के ग्रामीणों को सिर्फ आश्वासन ही मिलता रहा है, शासन प्रशासन और तत्कालीन सांसदों द्वारा यहाँ पुलिया निर्माण के लिए कभी कोई ठोस या निर्णायक कदम नही उठाए गए। जिससे सैकड़ो ग्रामीण बरसात में अपनी जान दाव पर लगाकर इस नदी को एक छोटे से डोंगे के सहारे पार करने मजबूर है। जब हमने यहाँ जाकर देखा तो हैरान करने वाली तश्वीरें सामने ग्राम बोरी, कटंगी, गोंडी टोला सहित आसपास के ग्रामो के स्कूली बच्चे इस नदी को नाव से पार कर पढ़ने के लिए लिंगा स्कूल जाते नजर आ रहे थे । जब नदी में बाढ़ की स्थिति रहती है तो ऐसी स्थिति में अध्ययनरत बच्चों का स्कूल जाना छूट जाता है, वहीँ परसवाड़ा लिंगा के सैकड़ो किसानों के खेत इस घिसर्री नदी के उस पार बोरी कटंगी ग्रामो में है, जिन्हें अपनी खेती कार्य के लिए लगभग रोजाना इस नदी को कैसी भी स्थिति में मजबूरी के साथ अपनी जान दांव पर लगाकर अपने खेतों तक पहुँचना होता है। यहाँ के ग्रामीणों का कहना है कि बरसात में इस नदी मार्ग को नाव के सहारे पार करते वक्त हमेशा किसी ना किसी दुर्घटना का अंदेशा बना रहता है, लेकिन शासन-प्रशासन उनकी इस समस्या और वर्षो की बहुप्रतीक्षित मांग पर संज्ञान नही ले रहा है। 6 संसदीय कार्यकाल में भी तत्कालीन सांसदों ने सिर्फ यहाँ के पूल निर्माण के लिए आश्वासन मात्र दिया । अगर इस पंचवर्षीय योजना में भी बोरी और परसवाड़ा घाट की घिसर्री नदी पर पुलिया निर्माण नही किया गया तो ग्रामीण उग्र आंदोलन को मजबूर हो जायेगे जिसकी सम्पूर्ण जवाबदारी जिला प्रशासन की होगी।

सभी ने उन्हें सिर्फ पुलिया बनाने का आश्वासन ही दिया है – टिकेश कटरे

यहां के स्थानीय निवासी टिकेश कटरे बताते हैं कि इस समस्या को लेकर अब तक यहां से 6 सांसद का कार्यकाल समाप्त हो चुका है और सभी ने उन्हें सिर्फ यहां पर पुलिया बनाने का आश्वासन ही दिया है और वही अभी जो सांसद बनकर आई हैं भारती पारधी उनके द्वारा भी उन्हें उन्हें चुनाव के समय यही आश्वासन दिया गया है कि वह जल्द ही इस नदी पर पुलिया बनाने का काम करेगी, अब देखना होगा कि अब की तरह उनकी समस्या जैसी की वैसी बनी रहती है या फिर सांसद महोदय के द्वारा यहां पुलिया बनाया जाता है वहीं उन्होंने यह भी बताया कि जब भी यहां की खबर मीडिया द्वारा प्रसारित की जाती है उसके बाद प्रशासन यहां से नाव को उठाकर ले जा लेते हैं इसलिए वह यही मांग करते हैं कि यहां से नाव को उठाकर ना ले जाया जाए बल्कि उनकी समस्या का समाधान किया जाए ।

यहां बड़ी घटना हो सकती है – योगेश्वरी बिसेन

परसवाड़ा निवासी योगेश्वरी बिसेन बताती हैं कि वह परसवाड़ा रहती हैं और उनकी खेती बोरी ग्राम के अंतर्गत आती है और वहां जाना आना करने के लिए उन्हें बोरी और लिंगा के बीच नदी को पार कर जाना पड़ता है और जब भी यहां ज्यादा बाढ़ आती है तो उन्हें काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है वही उनके साथ-साथ यहां से जो स्कूली बच्चे आना-जाना करते हैं वह भी जान जोखिम में डालकर ही इस नदी से एक नाव के भरोसे आना जाना करते हैं और यदि कभी नाव से आना-जाना करते समय यदि अचानक नदी में बाढ़ आ जाए तो निश्चित ही यहां बड़ा खतरा हो सकता है और यह समस्या वर्षों से बनी हुई है और यही मांग करते हैं कि प्रशासन द्वारा इस समस्या को प्राथमिकता से लेते हुए यहां पर पुलिया का निर्माण किया जाए ।

कई वर्षों से यहां पर पुलिया नहीं बना है – ममताबाई

परसवाड़ा निवासी ममता बाई बताती है कि लगभग सभी परसवाड़ा निवासियों का खेत ग्राम बोरी के अंतर्गत आता है और कई वर्षों से यहां पर पुलिया नहीं बना है जिस वजह से उन्हें यहां जितनी भी बाढ़ हो वह नाव के माध्यम से आना-जाना करते हैं और वह यही मांग करते हैं कि संबंधित विभाग इस पर संज्ञान ले

नदी पार करते समय बहुत डर लगता है

स्कूली छोटे बच्चों द्वारा बताया गया कि वह अपने स्कूल आना-जाना करने के लिए नाव का सहारा लेते हैं और जब यदि नदी में अधिक बाढ़ होती है तो वह उस दिन स्कूल नहीं जाते और घर में ही रहते हैं वह यही मांग करते हैं कि यहां पर पुलिया का निर्माण किया जाए क्योंकि जब भी वह नाव के माध्यम से नदी पार करते हैं तो उन्हें नदी पार करते समय काफी डर लगता है

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