‘थिंक-20’ बैठक में शिवराज बोले- केवल मीटिंग में मत रहना:घूमना-फिरना भी, MP की वाइल्डलाइफ देखकर जाना

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राजधानी भोपाल में सोमवार से G-20 के तहत थिंक-20 कार्यक्रम की दो दिवसीय बैठक शुरू हो गई। कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने थिंक-20 का उद्धाटन किया। कार्यक्रम में 22 देशों से आए 94 मेहमानों समेत कुल 300 सदस्य हिस्सा ले रहे हैं।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मेहमानों से कहा, केवल मीटिंग में मत रहना, घूमना-फिरना भी। भोपाल और आसपास ट्राइबल म्यूजियम, सांची, भीमबेटका घूमें। समय हो तो उज्जैन में महाकाल लोक, ओंकारेश्वर भी जाएं। मप्र में 11 टाइगर सेंक्चुरी हैं। मप्र की वाइल्डलाइफ देखकर जाइए। मुख्यमंत्री ने भारतीय विचार ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का जिक्र करते हुए कहा यही विचार दुनिया को शांति की ओर ले जा सकता है। उन्होंने आह्वान करते हुए कहा- G20 ही क्यों? सारे देश एक साथ आएं। ऐसा फोरम बने, जिस पर दुनिया के सारे देश एक साथ खड़े हों।

G-20 की थीम पर CM बोले…

ये धरती भगवान ने सबके लिए बनाई है

शिवराज ने कहा, भारत गेस्ट को गॉड मानता है। अतिथि देवो भव: भारत की परम्परा है। मेहमान जो हमारा होता है, वो जान से प्यारा होता है। हम चिंतन-मनन करेंगे, इससे जो अमृत निकलेगा, वो दुनिया के काम आएगा। इस बार G-20 की थीम ‘वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर’ है। ये भारत का बहुत प्राचीन विचार है। दुनिया में हमने एक नहीं, दो विश्वयुद्ध देखे। आज भी शांति नहीं है। संयुक्त राष्ट्र संघ के गठन के बाद भी शांति नहीं है। भारत का बहुत पुराना विचार है- अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम्। उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्॥ (यह मेरा है, वह पराया है, ऐसे विचार छोटे व्यक्ति करते हैं। उच्च चरित्र वाले लोग समस्त संसार को ही परिवार मानते हैं।) ये विचार दुनिया को शांति की तरफ ले जा सकता है। ये धरती भगवान ने सबके लिए बनाई है। इस धरती पर हमने अलग-अलग चैंबर तो बना लिए, ये मेरा देश है, ये आपका देश है, लेकिन हम सब एक ही चेतना के अलग-अलग अंग हैं।

भारतीय परंपरा पर कहा…

भारत ने मनुष्य की तरह प्राणियों, पेड़-पर्वतों में समान चेतना मानी

हमारे यहां कहते हैं सियाराम मय सब जग जानी। एक ही चेतना मनुष्य मात्र में है। ये आगे बढ़ी तो भारत ने कहा कि प्राणियों में भी यही चेतना है। इसलिए हम गाय की पूजा करते हैं। यही चेतना हमने पेड़ों, पहाड़ों में मानी, इसलिए हम पेड़ों-पर्वतों की पूजा करते हैं। जब हमारे यहां कोई धार्मिक कार्यक्रम होता है, तो हम दुनिया के कल्याण की कामना करते हैं। सारे थिंकर्स यहां आए हैं। मैं किसी विषय का विशेषज्ञ नहीं हूं, लेकिन मैं सभी थिंक टेंकर्स से अनुरोध करता हूं कि हम मिलकर विचार करें। प्राकृतिक संसाधनों का हम सबने अंधाधुंध शोषण किया है। भौतिक प्रगति की चाह में प्रकृति का अंधाधुंध शोषण किया और आज हम कह रहे हैं कि पर्यावरण कैसे बचाएं। सबको सोचना पड़ेगा। आप जो चिंतन-मंथन करेंगे उससे निश्चित तौर पर अमृत निकलेगा।

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