देश के पहले स्वदेशी विमान वाहक पोत (Indegenous Aircraft Carrier) विक्रांत ने रविवार को अपना पहला समुद्री ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। ये 4 अगस्त 21 को कोच्चि से रवाना हुआ था और रविवार को लंबी समुद्री यात्रा के बाद वापस लौटा। इस दौरान ये पोत परीक्षण योजना के अनुसार आगे बढ़ा और इसके सारे सिस्टम तमाम पैरामीटर्स पर संतोषजनक साबित हुए। अभी भारतीय नौसेना को सौंपने से पहले इसके सभी उपकरणों और प्रणालियों की टेस्टिंग जारी रहेगी। इसे आजादी की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर यानी 15 अगस्त को देश को समर्पित किया जाएगा। विक्रांत को भारतीय नौसेना के नौसेना डिजाइन निदेशालय (DND) ने डिजाइन किया है और जहाजरानी मंत्रालय (MOS) के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के शिपयार्ड कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL) में बनाया गया है। इसमें 76 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री का इस्तेमाल किया गया है और ये “आत्मनिर्भर भारत” और भारतीय नौसेना की “मेक इन इंडिया” पहल का शानदार नमूना है।
कैसा रहा ट्रायल?
स्वदेशी विमानवाहक पोत विक्रांत 262 मीटर लंबा, 62 मीटर चौड़ा और 59 मीटर ऊंचा है। इसमें कुल 14 डेक हैं और 2,300 से अधिक केबिन हैं, जिन्हें लगभग 1700 लोगों के दल के लिए डिजाइन किया गया है। जिसमें महिला अधिकारियों के लिए उचित आवास स्थान का प्रबंध किया गया है। वाइस एडमिरल एके चावला, फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ दक्षिणी नौसेना कमान ने खुद इसके ट्रायल की समीक्षा की। रक्षा सूत्रों के मुताबिक इसकी प्रगति योजना के अनुरुप हुई है और इसके सभी सिस्टम, पैरामीटर पर संतोषजनक साबित हुए हैं। यह ट्रायल देश के भविष्य के लिए और नौसेना की मजबूती के लिए एक ऐतिहासिक घटना है। इसकी कामयाबी ना सिर्फ हमारी क्षमता साबित करेगी बल्कि इन पोतों के आयात पर खर्च होनेवाले अरबों रुपये की बचत भी करेगी।