अगर आप लंबे समय के लिए निवेश की योजना बना रहे हैं। तो पब्लिक प्रोविडेंट फंड में इनवेस्टमेंट सबसे बेहतर ऑप्शन में से एक है। इस तिमाही के लिए पीपीएफ पर ब्याज दर सालाना 7.1% है। इस निवेश विकल्प में योगदान इनकम टैक्स अधिनियम की धारा 80सी के तहत कर मुक्त है। जब आपके पीपीएफ निवेश के लॉकइन पीरियड खत्म हो जाता है। तब सवाल उठता है कि अब क्या करना है। आप पैसा निकाल सकते हैं या छोड़ सकते हैं। ऐसी स्थिति में कई विकल्प है। आइए जानते हैं उन विकल्पों में कौन कितना फायदेमंद है।
बंद कर सकते हैं
पहला विकल्प है कि आप खाते को बंद कर सकते हैं। मेच्योरिटी में मिली रकम को सेविंग अकाउंट में रख सकते हैं। पीपीएफ जमा पर टैक्स नहीं लगता है।
5 साल के लिए बढ़ा सकते हैं
15 साल पूरा होने पर इसे 5 वर्ष के लिए आगे बढ़ा सकते हैं। पांच सालों में आपको हर महीने पैसा जमा नहीं करना होगा। रकम 5 साल के लिए लॉकइन होगा। इस पर वर्तमान दर से ब्याज मिलेगा।
न्यूनतम योगदान के साथ जारी रखें
विस्तार अवधि के दौरान न्यूनतम योगदान को जारी रख सकते हैं। यह निकासी सीमा के सबंध में प्रतिबंधों के साथ आता है। उदाहरण के लिए आपके पीपीएफ अकाउंट के विस्तार के 5 सालों के दौरान शुरुआत में अर्जित राशि का सिर्फ 60 फीसद ही निकाल सकते हैं। साथ ही हर साल सिर्फ एक निकासी की परमिशन है।
पीपीएफ पर लोन
पीपीएफ पर लोन की सुविधा मिलती है। अकाउंट खुलवाने के तीन से छह साल के बीच लोन ले सकते हैं। बीते वित्त वर्ष के आखिरी में खाते में जो रकम होगी, उसका 25% लोन ले सकते हैं। ऋण लेते समय पीपीएफ की जो ब्याज दर होगी। उससे 1% अधिक ब्याज लोन के पैसे चुकाने होंगे। एक बार लोन का पैसा जारी होते ही ब्याज दर भी फिक्स हो जाती है।