विशेष न्यायाधीश विजेंद्रसिंह रावत की कोर्ट का फर्जी फैसला बनाकर आइएएस बनने वाले संतोष वर्मा के मंगल नगर स्थित घर पर पुलिस ने मंगलवार रात करीब आठ बजे छापा मारा। पुलिस वर्मा को भी घर ले गई और कुछ दस्तावेज जब्त किए। इस दौरान मां व बेटे को देखकर वर्मा की आंखें भर आईं और दरवाजे की आड़ में हाथ बांधे खड़ा रहा। रिमांड अवधि समाप्त होने पर बुधवार दोपहर कोर्ट में पेश किया जाएगा।
कोतवाली सीएसपी हरीश मोटवानी के मुताबिक, राजपुर बड़वानी निवासी 51 वर्षीय संतोष पुत्र रूमालसिंह वर्मा (अपर आयुक्त नगरीय एवं विकास प्रशासन) ने पिछले वर्ष अक्टूबर में न्यायाधीश रावत के फर्जी हस्ताक्षर कर फैसला तैयार करवाया था। इसी फैसले को जेडीए में पेश कर आइएएस के लिए पदोन्नाति ले ली। डीपीसी के वक्त वर्मा धार में जिला पंचायत सीईओ था। आरोपित ने रिमांड के दौरान यह तो नहीं बताया कि फैसला कहां बना, लेकिन इतना जरूर बता दिया कि वह तीन अक्टूबर को शासकीय वाहन से इंदौर आया था। छह अक्टूबर को फर्जी फैसला बना और इसके बाद विधिवत नकल निकाली गई। पुलिस अब गाड़ी की लोकेशन और उस ड्राइवर की जानकारी जुटा रही है जो वर्मा को इंदौर लाया था। इससे यह पता लगाया जाएगा कि आखिर फैसला कहां बना और संदेही जज की क्या भूमिका है।
न्यायपालिका से जुड़ा अफसर गायब, उस पर साजिश का शक
डीपीओ अकरम शेख द्वारा एक जज पर फर्जी आदेश बनाने का आरोप लगाने के बाद एक अन्य अफसर शक के दायरे में है। उस पर ही फर्जीवाड़े की साजिश का शक है। सूत्रों के मुताबिक, इस अफसर ने ही वर्मा को परिचित जज के पास भेजा था। प्रकरण दर्ज होने के बाद इस अफसर ने आना बंद कर दिया है। हालांकि वह छुट्टी लेकर गया था लेकिन छुटि्टयां समाप्त होने के बाद भी नहीं लौट रहा। जबकि पुलिस अफसरों से संपर्क कर टोह ले रहा है।
मुंह छिपाते हुए घर में घुसा वर्मा, अलमारियों से निकाले दस्तावेज
मंगलवार दोपहर वर्मा को एमजी रोड थाना से कोतवाली सीएसपी के कार्यालय लाया गया। करीब सात घंटे एमजी रोड थाना प्रभारी डीवीएस नागर ने पूछताछ की। इस दौरान ब्यावरा में पदस्थ एक तहसीदार मिलने पहुंचे लेकिन अफसरों ने बात करवाने से इन्कार कर दिया। तहसीलदार ने बताया कि वर्मा उनके साथ हरदा में पदस्थ रहा है। देर शाम एसआइ बीएस रघुवंशी घर लेकर पहुंचे। यहां वर्मा की मां और बेटे मिले। पुलिस ने स्वाभाविक हैंडराइटिंग की जांच के लिए अलमारी से दस्तावेज जब्त किए और रवाना हो गई। इस दौैरान वर्मा की आंखें भर आईं और दरवाजे की आड़ लेकर खड़ा हो गया।
एक पत्नी, तीन प्रेमिका, एक भी मिलने नहींं आई
जांच अफसरों के मुताबिक, शिकायतकर्ता हर्षिता ने बताया कि वर्मा जहां भी पदस्थ रहा, उसके अफेयर शुरू हो गए। एक पत्नी के अलावा उसकी तीन महिलाओं से दोस्ती है। लेकिन रिमांड के दौरान उससे मिलने कोई नहीं आता है। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में पदस्थ भाई और कुछ सहकर्मी खाना लेकर आते हैं।