लालबर्रा मुख्यालय सहित ग्रामीण क्षेत्रों में २७ नवंबर को दिनभर आसमान में बादल छाया रहा और शाम में कुछ देर बुंदाबांदी बारिश हुई एवं दूसरे दिन २८ नवंबर को प्रात: से लेकर दोपहर १२ बजे तक बादल गर्जन के साथ झमाझम बारिश हुई है और यह बारिश करीब ६ घंटे तक हुई। मंगलवार को प्रात: से हुई बारिश से किसानों की वर्तमान में जारी भारी प्रजाति की धान कटाई, गहानी कार्य प्रभावित हुआ है साथ ही धान गीली भी हो चुकी है क्योंकि अचानक मौसम परिवर्तन होने के साथ ही झमाझम बारिश होने से किसान खेतों में एकत्रित किये फसलों को पानी से बचाने के लिए पॉलीथिन ढाक नही पाये जिससे किसानों के खेतों में बांधकर रखे गये धान के बोझे भी भींग चुके है। वहीं अचानक हुई तेज बारिश से चना, गेंहू, अलसी, तुअर सहित अन्य फसलों का भी नुकसान हुआ है एवं बदलीनुमा मौसम से तुअर की फसल में बीमारी लगेगी और मौसम खुले के आसार नजर नही आ रहे है जिससे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि अगर दो-तीन दिन इसी तरह बारिश होते रही तो किसानों के खेतों में पड़ी धान पुरी तरह से गीली हो जायेगी जिससे शासन के द्वारा समर्थन मूल्य में नही खरीदा जायेगा जिससे किसानोंं को काफी नुकसान होगा एवं दलहन फसल का भी उत्पादन नही ले पाये। इस तरह बे-मौसम बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है और किसान मौसम साफ होने का इंतजार कर रहे है ताकि मौसम साफ होते ही अपनी फसल को सुरक्षित कर सके। वहीं मौसम परिवर्तन एवं बारिश होने से ठंड भी बढ़ चुकी है और लोग ठंड से बचने के लिए गर्म कपड़ों के साथ ही अलाव का सहारा ले रहे है एवं मौसम साफ होने के बाद ठिठुरन ठंड लगने की उम्मीद जताई जा रही है।
आपकों बता दे कि क्षेत्र में अचानक मौसम के बदले मिजाज एवं बे-मौसम बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। कुछ दिनों से क्षेत्र में लगातार मौसम का मिजाज बदल रहा है और कभी तेज धूप छाई रहती है तो कभी बादल छा जाते, कभी रात में ठंड का अधिक एहसास होने लगता है और बार-बार मौसम के बदलने के साथ ही मंगलवार को हुई झमाझम बारिश से किसान चिंतित है। वर्तमान में खरीफ धान की फसल भारी किस्म की धान की कटाई कार्य जारी है एवं कुछ कृषकों के द्वारा धान की गाहनी कार्य किया जा रहा है। २८ नवंबर को प्रात: से नगर मुख्यालय सहित ग्रामीण क्षेत्रों में दोपहर १२ बजे तक बारिश हुई और दिनभर आसमान में बादल छाया रहा। मौसम के अचानक बदल जाने व २८ नवंबर को हुई बारिश से किसान परेशान नजर आ रहे है क्योंकि जो धान कटी हुई है उसके कड़पे भींग गये है वहीं भींगी हुई धान को कम कीमत में व्यापारियों के द्वारा खरीदा जायेगा। इन दिनों क्षेत्र में भारी किस्म की खरीफ धान की कटाई के साथ ही उसके कड़पे उठाने का कार्य जारी है किन्तु अचानक मौसम के बदलने के कारण कई किसान पककर तैयार हो चुकी फसल की कटाई नही करवा पा रहे है जो खड़ी फसल है उसमें विभिन्न प्रकार की बीमारी भी लग सकती है और मौसम के बदले मिजाज के चलते किसान बेहद चिंतित है।
बादल छाये रहने से तुअर की फसल में लग रही बीमारियां
बालाघाट जिले में सबसे अधिक धान की खेती की जाती है और धान की खेती के साथ में तुअर, उड़द व अन्य दलहनी फसले लगाई जाती है और वर्तमान में खरीफ धान के समय मेढ़ों पर किसानों ने तुअर लगाया है जिसमें फुल व फल लगने लगे है किन्तु मौसम के बदलने के साथ ही बादल छाये रहने से तुअर में लगी फुल झडऩे के साथ ही उसमें इल्लियां व अन्य बीमारियां भी लगने लगी है जिससे तुअर की फसल भी प्रभावित होगी। साथ ही किसानों के द्वारा तुअर में लग रही बीमारी की रोकथाम के लिए कीटनाशक दवाओं का भी छिडक़ाव किया जा रहा है किन्तु आसमान में बादल छाये रहने से दवाईयां भी काम नही कर पा रही है।