स्वयंसिद्ध मुहूर्त भड़ली नवमी के साथ आठ दिनी आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्र का समापन रविवार को होगा। भड़ली नवमी पर हिंदू पंचांग के मुताबिक मांगलिक कार्यों के लिए अंतिम शुभ मुहूर्त रहेगा। इसके बाद देवशयनी एकादशी से वैवाहिक आयोजन पर चार माह के लिए ब्रेक लग जाएगा। इस दिन कार्यों में सिद्धि देने वाला साध्य योग रहेगा। गुप्त मनोकामना व तंत्र सिद्धि के लिए शक्ति की उपासना का क्रम भी थमेगा। माता मंदिर में दर्शन-पूजन के लिए भक्तों का तांता लगेगा। ज्योतिर्विद् विजय तिवारी के मुताबिक आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि दिवसपर्यंत रहेगी। यह तिथि विवाह सहित अन्य मांगलिक कार्यों के लिए जुलाई मास की अंतिम शुभ तारीख है। इसके बाद कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किया जाएगा क्योंकि इसके बाद 20 जुलाई से देवशयन हो जाएगा। इस तिथि से भगवान चार माह के लिए योग निद्रा में चले जाएंगे। इस कारण विवाह, मुंडन व गृहप्रवेश आदि सभी कार्य स्थगित रहेंगे। ज्योतिर्विद् आचार्य शिवप्रसाद तिवारी ने बताया कि भड़ली नवमी को अबूझ व स्वयंसिद्ध मुहूर्त भी कहा जाता है।
इस शुभ मुहूर्त में विवाह, मुंडन, गृहप्रवेश और नया कारोबार आदि शुरू किया जा सकता है। इन कार्यों के लिए यह तिथि बहुत ही शुभ, श्रेष्ठ और उत्तम मानी गई है। भड़ली नवमी को अक्षय तृतीया के समान शुभफलदायी और महत्वपूर्ण माना गया है। धार्मिक मान्यता है कि जिसे शादी के लिए कोई शुभ मुहूर्त न मिले तो वे इस दिन शादी कर सकते हैं।