मेरी आवाज ही पहचान है : मध्‍य प्रदेश की पर्यटन नगरी मांडू से रहा लताजी की आवाज का गहरा नाता

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 दुनिया को अलविदा कह गई भारत रत्न स्वर कोकिला लता मंगेशकर का ऐतिहासिक पर्यटन नगरी मांडू से गहरा नाता रहा है। करियर के शुरुआती दशकों में उनके द्वारा गाए गए कुछ सदाबहार गीत जिन्होंने लता मंगेशकर को प्रसिद्धियों के आसमान तक पहुंचाया, वे मांडू में फिल्माए गए थे। कम ही लोगों को पता है कि लताजी द्वारा गाया गया आ लौट के आ जा मेरे मीत, तुझे मेरे गीत बुलाते हैं प्रेम के प्रतीक रानी रूपमती महल और नाम गुम जाएगा चेहरा ये बदल जाएगा, मेरी आवाज ही पहचान है, गर याद रहे मांडू के ऐतिहासिक जहाज महल में फिल्माया गया है।

लता मंगेशकर भौतिक रूप से हमारे बीच नहीं हैं, पर मांडू के ऐतिहासिक महलों और हसीन वादियों में फिल्माए गए उनके गीतों की आज भी गूंज हैं। उनके निधन का समाचार मिलने के बाद लोग यहां लता मंगेशकर की मांडू से जुड़ी यादों की चर्चा करते नजर आए।

इंदौर में जन्मी लताजी मांडू भी आती रही हैं। फिल्मी दुनिया से जुड़े जानकारों का कहना है कि वह मांडू से बेहद प्रेम रखती थी। इसलिए वह समय निकालकर कई बार परिवार के साथ मांडू आई, लेकिन अपनी लोकप्रियता के कारण सार्वजनिक रूप से वह सामने नहीं आई। उनके निधन के बाद राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय मीडिया द्वारा प्रसारित समाचारों में उनके द्वारा गाए गए और मांडू पर फिल्माए गए गीतों को विशेष रूप से दिखाया जा रहा है।

मांडू से जुड़ी लताजी की यादें और नगमें

– आ लौट के आ जा मेरे मीत, तुझे मेरे गीत बुलाते हैं

(फिल्म- रानी रूपमती, 1957, भारत भूषण, निरूपा राय, फिल्मांकन ऐतिहासिक रानी रूपमती महल)

दिलरुबा तेरे प्यार में हमने क्या-क्या न किया, दिल दिया दर्द लिया

(फिल्म- दिल दिया दर्द लिया, 1966, दिलीप कुमार, वहीदा रहमान, फिल्मांकन जहाज महल)

फिर तेरी कहानी याद आई, फिर तेरा फसाना याद आया

(फिल्म- दिल दिया दर्द लिया, 1966, दिलीप कुमार, वहीदा रहमान, फिल्मांकन जहाज महाल)

क्या रंगे महफिल हैं, दिलदारम ओ जाने यारम

(फिल्म- दिल दिया दर्द लिया, 1966, दिलीप कुमार, वहीदा रहमान, फिल्मांकन हिंडोला महल)

नाम गुम जाएगा, चेहरा यह बदल जाएगा, मेरी आवाज ही पहचान है, गर याद रहे

फिल्म- किनारा, 1977, धर्मेंद्र, जितेंद्र, हेमा मालिनी, फिल्मांकन जहाज महल, तवेली महल, जामी मस्जिद)

अब के ना सावन बरसे

(फिल्म- किनारा, 1977, धर्मेंद्र, जितेंद्र, हेमा मालिनी, फिल्मांकन चंपा बावड़ी)

गली गली में बात चली

(फिल्म- जीने नहीं दूंगा, 1984, धर्मेंद्र, अनीता राज, फिल्मांकन शाही परिसर)

साथ ही मांडू में सन 1948 से लेकर अब तक फिल्माई गई फिल्मों में और भी ऐसे गाने हैं, जो लता जी ने गाए हैं और मांडू पर फिल्माए गए हैं।

इतिहास का हिस्सा बना.. देश-विदेश के सैलानियों को यहां सुनाए जाते हैं लताजी के नगमे

मांडू का फिल्मी दुनिया से रिश्ता आधी सदी से भी पुराना है। यहां कई फिल्मों की शूटिंग हुई है। गायिका लता मंगेशकर द्वारा गाए हजारों गीतों में सर्वाधिक लोकप्रिय उन गीतों की गिनती हैं, जो मांडू में फिल्माए गए।इतिहासकार विनायक साक्कले के अनुसार लताजी की आवाज और लोगों के दिलों में राज करने वाले देश के बड़े-बड़े सुपरस्टार पर मांडू में फिल्माए गए गीतों की जानकारी देश-विदेश से आए सैलानियों को दी जाती है। लता मंगेशकर ने मांडू पर फिल्माए जो गीत गाए हैं, यहां टूरिस्ट मार्गदर्शक द्वारा सैलानियों को उन स्थानों पर ले जाया जाता है, जहां गीतों का फिल्मांकन हुआ है। महलों में ही उन गीतों को सुनाया जाता है। सैलानी भी इन गीतों को गाकर आनंद का अनुभव करते हैं। आज यहां सैलानियों ने रानी रूपमती पर पहुंचकर आ लौट के आ जा मेरे मीत और जहाज महल पर मेरी आवाज ही पहचान है, गर याद रहे गाकर लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि अर्पित की।

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