प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने का दावा किया जा रहा है। तो वहीं स्वास्थ्य सही तरीके संचालित हो उसके लिए समय-समय पर अस्पतालों का निरीक्षण भी किया जाता है । उसके बाद भी सरकार का दावा खोकला नजर आ रहा है। ताजा मामला 22 सितंबर की शाम को जिला अस्पताल में देखने में नजर आया।जहा पर मरीज का उपचार चिकित्सक द्वारा मोबाइल की टॉर्च की रोशनी में किए जाने का मामला सामने आया है । अस्पताल में बनी इस अवस्था के साथ ही यहां की इमरजेंसी विद्युत सुविधा पर भी सवाल उठ रहे हैं । आपको बताए की जिला अस्पताल के बालाघाट में एक दिन पहले देर शाम में अचानक ही विद्युत आपूर्ति बंद हो गई और अस्पताल परिसर में अंधेरा हो गया । ऐसी स्थिति में इमरजेंसी विद्युत सेवा को तत्काल बहाल कर लाइट प्रारंभ करनी पड़ती है पर यहां पर ऐसा नहीं हो सका और लगभग आधे घंटे तक यहां के विद्युत आपूर्ति पूरी तरह बंद हो गई और जिसके कारण अस्पताल का ओपीडी कक्ष से लेकर तमाम परिसर में अंधेरा कायम हो गया । इस दौरान देर शाम में ओपीडी में आए मरीज का उपचार चिकित्सक को मोबाइल के टोर्च की रोशनी में करना पड़ा। पर्ची पर उपचार सेवा और दवाई भी इस मोबाइल की टोर्च की रोशनी में अंकित किया गया । इस के चलते काफी देर तक यहां पर अवस्था का माहौल रहा। बाद में बहाल हो गई।
हालात जस के तस नजर आ रहे
सरकार चाहे किसी की रही हो लेकिन यहां की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के बारे में कहा जाता है कि हमेशा भगवान भरोसे ही रही हैं। वर्तमान सरकार द्वारा बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं और प्रदेश के जिला अस्पतालों की व्यवस्थाओं का निरीक्षण भी किया जा रहा है लेकिन इसके बावजूद भी हालात जस के तस ही नजर आ रहे हैं।
विद्युत इमरजेंसी जनरेटर सुविधा चेक किया जा रहा था= सिविल सर्जन
इस संबंध में सिविल सर्जन डॉक्टर संजय दबड़गांव द्वारा बताया गया कि आज 23 सितंबर को विद्युत विभाग ने इस क्षेत्र की विद्युत मेंटेनेंस कार्य को लेकर सूचना दी हुई थी। जिसके चलते शाम के समय में विद्युत इमरजेंसी जनरेटर सुविधा को चेक किया जा रहा था। तब विद्युत विभाग ने भी आपूर्ति बंद कर दी । जिसके चलते लगभग 15 मिनट तक विद्युत आपूर्ति बंद रही। बाद में बहाल हो गई।