बालाघाट (पदमेश न्यूज़)
शनिवार 28 सितंबर को जिला मुख्यालय सहित अन्य ग्रामीण अंचलों में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शहीद ए आजम भगत सिंह की जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाई गई।जहा जगह जगह विभिन्न कार्यक्रमो के आयोजन किए गए। जयंती विशेष के इस अवसर पर नगर के भगत सिंह जिला चिकित्सालय में युवाओं द्वारा शहीदे आजम भगत सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उनके बलिदान को याद किया गया। तो वही उनका जयघोष कर
उपस्थितजनों ने भगत सिंह की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए उनके बताए हुए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया। इसके अलावा जिला अस्पताल परिसर में पूर्व से स्थापित की गई भगत सिंह की प्रतिमा पर ध्यान न दिए जाने का आरोप लगाते हुए जयंती विशेष पर भी अस्पताल प्रबंधन द्वारा प्रतिमा की साफ सफाई न कराने,औऱ फूल माला न चढ़ने पर युवा नाराज दिखाई दिए।जिन्होंने जिला अस्पताल में लगी इस प्रतिमा को जिला अस्पताल के बाहर लगाने की गुहार लगाई, तो वहीं उन्होंने उक्त प्रतिमा को स्थानांतरित करने का खर्च स्वयं उठाने की बात कही है।
28 सितंबर को जन्म तो 23 मार्च 1931 को दी गई थी फाँसी
बताया गया कि आजादी के महान सपूत भगत सिंह, का जन्म 28 सितंबर को हुआ था जिन्हें अंग्रेजी हुकूमत ने उनके साथी सुखदेव और राजगुरु के साथ 23 मार्च 1931 की शाम लाहौर जेल में फांसी दी थी।प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी 28 सितंबर को युवाओं द्वारा शहीद भगतसिंह जिला चिकित्सालय में स्थित शहीदे आजम भगतसिंह की प्रतिमा माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया और पुष्पांजलि अर्पित की।शहीेदे आजम भगतसिंह की जयंती पर उपस्थित लोगों ने उन्हें पुष्पांजलि अर्पित कर उनके देश की आजादी में दिए गए योगदान को याद किया। बताया गया कि शहीद भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद सहित अन्य क्रांतिकारियो के बलिदान से देश मे आजादी की चिंगारी जली थी। शहीद चन्द्रशेखर आजाद के साथ मिलकर भगत सिंह ने देश की आजादी के लिए अभूतपूर्व साहस के साथ शक्तिशाली ब्रिटिश सरकार का मुकाबला किया। पहले लाहौर में अंग्रेज सैडस की हत्या और उसके बाद दिल्ली के केंद्रीय संसद सेंट्रल असेंबली में बम फेक कर ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध खुले विद्रोह ऐलान किया था। जहां बम फेंक कर भागने से उन्होंने मना कर दिया और हंसते-हंसते अपने आपको गिरफ्तार करवाया था जिसकी सजा के तौर पर ब्रिटिश हुकूमत ने उन्हें और उनके साथियों को फांसी की सजा सुनाई थी।