‘स्विच ऑन’ तो झमाझम बारिश, ऑफ तो बूंदें वापस! देश जल्द देखेगा ‘चमत्कार’, मौसम GPT की भी तैयारी

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स्वतंत्रता दिवस समारोह या कोई और आयोजन के वक्त बारिश नहीं हो, यह अब अपने हाथ में होगा। जब बारिश की जरूरत हो तो बूंदें बरसने लगें, इस पर भी अपना नियंत्रण होगा। इसी तरह, बाढ़ के दौरान शहरों में बारिश या ओलावृष्टि को रोका जा सकता है। देश के मौसम वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि अगले पांच सालों में उनके पास इतनी विशेषज्ञता होगी कि वे न केवल बारिश को बढ़ा सकेंगे, बल्कि कुछ इलाकों में ओलों और बिजली के साथ-साथ बारिश को भी रोक सकेंगे। इस मिशन का उद्देश्य भारत को क्लाइमेट स्मार्ट और वेदर रेडी बनाना है ताकि बादल फटने सहित किसी भी मौसम की घटना को अनदेखा न किया जा सके। इसके साथ ही चैटजीपीटी के आधार पर मौसमजीपीटी भी बनाया जाएगा जो यूजर्स को मौसम की जानकारी अलग-अलग फॉर्मेट में झटपट उपलब्ध कराएगी।

मोदी सरकार का मिशन मौसम

दरअसल, देश अब क्लाइमेट चेंज की वजह से बारिश के पैटर्न में होने वाले बदलावों से निपटने के लिए तैयार हो रहा है। मिशन मौसम से 2026 तक तैयारियां पूरी हो जाएंगी। इसके बाद इसका दूसरा चरण शुरू होगा। नरेंद्र मोदी सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने इस मिशन का जिम्मा लिया है। पहले चरण में क्लाउड चैंबर बनाकर बादलों पर कई तरह के शोध होंगे। इसमें बादलों से होने वाली बारिश को कम करवाने की तैयारी के साथ ज्यादा बारिश वाले बादलों को ऐसे एरिया की तरफ भेजने की कोशिश होगी जहां सूखे या कम बारिश की स्थिति है। इतना ही नहीं पूर्वानुमान को बेहतर करने के लिए देश में 2026 तक रेडार की संख्या 100 तक कर दी जाएगी।


क्लाउड चैंबर में बादलों पर रिसर्च

मंत्रालय के सेक्रेटरी डॉ. एम रविचंद्रन ने बताया कि आईआईटीएम पुणे में इसके तहत एक क्लाउड चैंबर बनाया जाएगा। यहां बादलों पर रिसर्च होगी। इसमें बादलों पर कई तरह के प्रयोग किए जाएंगे। अधिकारी के अनुसार, बादल का बेस आमतौर पर धरती की सतह से एक से डेढ़ किलोमीटर दूर तक होगा। लेकिन इनकी उंचाई 12 से 13 किलोमीटर तक की हो सकती है। इसलिए मिशन मौसम के तहत उंचाई पर हो रहे बदलावों के लिए देश को तैयार किया जा रहा है। इसमें नमी, हवाओं की गति और तापमान का आकलन होगा। बादलों के घनत्व को कम करने के लिए, अधिक बारिश वाले बादलों को ऐसे इलाकों की तरफ भेजने की कोशिश होगी जहां बारिश कम हो रही है।

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