अधूरे बने पीएम आवास खंडहर में हो रहे तब्दील,कर्ज लेकर बना पूरा कर रहे हितग्राही !

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मध्यप्रदेश शासन द्वारा 29 मार्च को प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत बने मकानों में प्रवेश दिलाने के लिए हितग्राहियों का मंगल प्रवेश कार्यक्रम वर्चुअल कार्यक्रम के माध्यम से आयोजित किया। निश्चित ही इस कार्यक्रम के माध्यम से सरकार ने जमकर ताल ठोकी और वाहवाही बटोरने की कोशिश की लेकिन पर्दे के पीछे का सच कुछ और ही दिखाई दे रहा है।

हमने जब जिला मुख्यालय स्थित वार्ड नंबर 33 गायखुरी आवास टोली और शहर के बूढ़ी वार्ड के उन क्षेत्रों का निरीक्षण किया तो पता चला कि सरकार की हकीकत सरकार के वादे मंगल प्रवेश मैदानी स्तर पर पूरा होता दिखाई नहीं दे रहे है?

हमने सीधे हितग्राही से चर्चा की जिन्होंने अपना दुखड़ा बताया कि 3 वर्ष हो गए पीएम आवास की पूरी राशि नहीं मिली इस कारण अभी बहुत से लोगों की आवाज अधूरे पड़े हैं।

गायखुरी आवास टोली निवासी दीपक नेवारे बताते हैं कि 3 वर्ष का समय बीत गया उन्हें अब तक अंतिम किस्त नहीं मिली है इस कारण मकान का काम अभी अधूरा पड़ा है दर्जनों बार नगरपालिका के चक्कर लगा ली लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही।

इसी तरह की कुछ कहानी आवास टोला निवासी रानू गुर्जर
भी बताती हैं कि 8 महीने से अधिक का समय बीत गया उनके द्वारा जैसे तैसे छत ढालकर मकान में रहना शुरू किया गया है। लेकिन बाकी की किस्त नगर पालिका के माध्यम से नहीं मिल रही है। पीएम आवास की मकान की किस्त में लेटलतीफी को देखते हुए अधूरे मकान में ही रहना शुरू कर दिया।

हम जैसे जैसे आवास टोली में आगे बढ़ते गए हमें पीएम आवास के हर हितग्राही ने अलग अलग परेशानी बताई। जिसमे से आरती साहू बताती हैं कि उनके द्वारा कर्ज लेकर मकान पूरा बनवा लिया गया लेकिन पैसे नहीं मिलने की वजह से अब परेशानी हो रही है। कर्ज का ब्याज बढ़ते जा रहा है।

पीएम आवास से जुड़ी हुई परेशानी शहर के अकेले गायखुरी की नहीं बल्कि यही परेशानी बूढ़ी, गंगानगर सहित अन्य क्षेत्रों की भी है। जहां पर हितग्राहियों ने बताया कि उन्हें पीएम आवास की राशि के लिए महीनों नहीं बरसो इंतजार करना पड़ा रहा है। उस पर रोजाना बढ़ती महंगाई से यह राशि बहुत कम पढ़ रही है।

यही नहीं इस विषय पर जब हमने जनपद पंचायत उपाध्यक्ष जुगल बम्बूरे से चर्चा की तो उन्होंने भी इस बात को स्वीकार किया कि शासन द्वारा शहरी नहीं ग्रामीण स्तर ऊपर भी राशि के वितरण में लेटलतीफी की गई है। नतीजा कई आवास आज भी अधूरे पड़े हैं। यही नहीं महंगाई की वजह से भी आवास बनाने में हितग्राहियों को दिक्कत आ रही है।

पीएम आवास की राशि में लेटलतीफी की जानकारी के लिए जब हमें नगरपालिका के जिम्मेदार अधिकारियों से बात की तो उन्होंने ऑफ द रिकॉर्ड यही जानकारी दी कि वरिष्ठ स्तर से ही राशि रिलीज करने में देरी की जा रही है। उनके द्वारा लगातार पत्राचार किया जा रहा है। बावजूद इसके 3 से 4 वर्ष पहले स्वीकृत की गई पीएम आवास की पूरी क़िस्त तब तक हितग्राहियों के खाते में जमा नहीं करवाई गई है।

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