अपने हक के आदेश की मूल प्रति पाने परेशान हो रही वारसान

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जिला मुख्यालय से करीब 42 किलोमीटर दूर तहसील लामता की रहने वाली एक पीडि़ता अपने ही बाप-दादा की जमीन पर अपना नाम जुड़वाने के लिए दफ्तरों के चक्कर काट रही है, लेकिन उनके पैतृक संपत्ति में उनका नाम नहीं जुड़ पा रहा है बताया जा रहा है कि लामता तहसील न्यायालय द्वारा वारसान को लेकर जारी किए आदेश की मूल प्रति न मिल पाने से महिला परेशान होने के साथ ही आर्थिक संकट से भी जूझ रही है। जिसने शुक्रवार कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर वारसान आदेश की मूलप्रति दिलाकर उसे न्याय दिलाने की गुहार लगाई है।

मंझले पिता ने कटवा दिया है उसका नाम
कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंची पीडि़ता सविता पति गुलाब धुपे 40 वर्ष लामता निवासी ने बताया कि उसके पिता के दो भाई जिसमें उसके पिता सबसे छोटे थे और जब वह सिर्फ डेढ़ साल की थी तब उनकी मौत हो गई थी जिसके बाद उसके बड़े पिता की भी मौत हो चुकी है और उसके मंझले पिता ने उसका नाम जमीन से हटाकर पूरी जमीन अपने व अपने परिवार के नाम करवा ली है और इससे सबंधित एक आवेदन उसके बड़े पिता की बेटी ने लगाया था जिसके तहत उन्हें आदेश प्राप्त हुआ था कि वे लोग वारसान है लेकिन इस आदेश की मूल प्रति तहसील कार्यालय से नहीं मिल पाने से उसका नाम जमीन पर नहीं जुड़ पा रहा है जिसका खामियाजा उसे भुगतना पड़ रहा है।

मंझले पिता ने इस तरह किया गुमराह
पीडि़ता ने बताया कि बड़े पिता की मौत के बाद जब उसने मंझले पिता से कहा था कि उसका नाम जमीन में जुड़वा दो तो उन्होंने कहा था कि उसके दादाजी की जब मौत होगी तब फौती में तेरा नाम जोड़ देंगे लेकिन नाम जोड़ने के बजाय दादाजी की पुरी की पुरी जमीन अपने नाम करा ली है।वहीं इस सबंध में तहसील कार्यालय के बाबू का कहना है कि मैं उस समय नहीं था उस समय में मुझे कुछ नहीं पता है जिससे उसे बार-बार कार्यालयों के चक्कर लगाना पड़ रहा है। जिसके चलते ही कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचकर कलेक्टर से गुहार लगाई गई है कि सभी परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए उचित जांच मुझे राजस्व आदेश पत्र अनुवृति पत्र की मूल प्रति जारी किए जाने की मांग की है।

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