BHOPAL | यदि आप हाथ से ब्लॉक प्रिंट वाले परिधान देखना-पहनना चाहते हैं तो गौहर महल मुफीद जगह है। यहां पर आयोजित बाग उत्सव में कुक्षी के उस्ताद कारीगरों के हाथों से बने प्राकृतिक रंग के वस्त्र उपलब्ध हैं। प्रदेश के धार जिले से 90 किलोमीटर दूर स्थित बाग एक प्राचीन शहर है। बाग की छपाई कला का संबंध वहां के पानी और वनस्पति से है। वनस्पति से बनाए गए पक्के रंग से छापे गए कपड़ों को बाघनी नदी का पानी टिकाऊ बनाता था। यहां पर 1950 के पूर्व से ही कपड़ों पर छपाई का काम चल रहा है। बाग प्रिंट की साड़ियां और ड्रेस मटेरियल लेकर आए वसीम बताते हैं कि बाग में तकरीबन 15 परिवार हैं जो बाग प्रिंट से छपाई कला को जिंदा रखे हुए हैं। लकड़ी के ब्लॉक से छपाई के काम को ठप्पा छपाई कहते हैं जो उनके परिवार का पुश्तैनी काम है। उत्सव में इस बार पहली बार उपाड़ा और डोला सिल्क में बाग प्रिंट के डिजाइन देखने को मिल रहे हैं। आर्टिजन ने एंटीक जरी के साथ उपाड़ा और डोला सिल्क की साड़ी और शूट में कई डिजाइन पैटर्न को डिस्प्ले किया है। मोहम्मद यूसुफ ने बताया कि इन कपड़ों में नये प्रयोग कोरोना काल के दौरान किए गए हैं। इसी प्रकार बुनकर सुलेमान खत्री वेलबेट बाग प्रिंट की बेडशीट लेकर आएं हैं, जो गर्मी में ठंडक, ठंडक में गर्माहट और बरसात के सीजन में सूखापन देती है। ऐसा प्रकृतिक रंगों के कारण होता है। उत्सव में करीब 50 स्टॉल हैं, जिनमें से आधे बाग के बुनकरों के हैं।
ऐसे होती है प्रिंटिंग
मोहम्मद यूसुफ ने बताया कि कॉटन या सिल्क के कपड़े पर बाग प्रिंट किया जाता है। पहले कपड़े को पंद्रह दिन तक धोकर धूप में सुखाते हैं, ताकि यह अपने असली आकार में आ जाए। फिर इस पर देड़ा पाउडर डाला जाता है,जिससे कपड़े पर छपाई के रंग टिक सकें। इससे तैयार कपड़े पर सागौन की लकड़ी के ब्लॉक से छपाई करते हैं। तकरीबन 1300 ब्लॉकों में अलग-अलग पैटर्न और डिजाइन की छपाई कपड़ों में की जाती है। कपड़े को अच्छी तरह सुखाने के बाद भट्टी के गर्म पानी में डालकर रंग पक्का करते हैं। पुराने जमाने में छपाई किए गए कपड़े बाघनी नदी के पानी में उलटी धार में धोए जाते थे जो छपाई को निखारते थे। कहते हैं कि बाघनी नदी के खनिज एवं लवण इन रंगों को मजबूत बनाते थे। हालांकि नदी अब उस समय के स्वरूप में नहीं रही है। प्रदर्शनी में बाग कॉटन सूट, बाग क्रेप सूट, बाग रनिंग, सभी तरह की ब्लॉक प्रिंट वाले मटेरियल,बाग महेश्वरी साड़ी और बाघ क्रेप साड़ियां उपलब्ध हैं। मेले का समय सुबह 11 से रात नौ बजे तक है। यह मेला 15 फरवरी तक चलेगा। यहां लाइव डोमास्ट्रेशन के माध्यम से लोगों को बाग छपाई कला के बारे में बताया जा रहा है।