अमेरिकी कंपनी मेटा को रूस ने ‘आतंकवाद और चरमपंथ’ संगठनों की सूची में डाला

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यूक्रेन में हमले के बाद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा पश्चिमी देशों की कंपनियों के खिलाफ की जा रही कार्रवाई में अब अमेरिका की शीर्ष प्रौद्योगिकी कंपनी मेटा पर गाज गिरी है। रूस के वित्तीय निगरानीकर्ता ने को आतंकवाद और चरमपंथ में संलिप्त संगठनों की सूची में डाल दिया है। मालूम हो कि मेटा इंस्टाग्राम और फेसबुक की मूल कंपनी है। रूस की सरकारी मीडिया के मुताबिक संघीय वित्तीय निगरानी सेवा रॉसफिन मॉनिटरिंग ने मेटा के खिलाफ कार्रवाई की मंगलवार को घोषणा की। रूसी सरकार की नवीनतम कार्रवाई को लेकर मेटा की ओर से अब तक प्रतिक्रिया नहीं आई है। गौरतलब है कि रूस की एक अदालत ने मार्च महीने में ही देश में फेसबुक और इंस्टाग्राम के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी। दूसरी ओर पुतिन ने बुधवार को कहा कि उनका देश बाल्टिक सागर के जरिए जर्मनी जाने वाली नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन से यूरोप को गैस की आपूर्ति फिर शुरू करने के लिए तैयार है। पुतिन ने मास्को में एक ऊर्जा मंच को संबोधित करते हुए फिर आरोप लगाया कि नॉर्ड स्ट्रीम 1 पाइपलाइन के दोनों लिंक और नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन के दो में से एक लिंक में विस्फोटों के पीछे अमेरिका का हाथ होने की आशंका है।
पाइपलाइन में विस्फोटों के कारण बड़े पैमाने पर गैस का रिसाव हुआ और उनसे आपूर्ति ठप हो गई है। अमेरिका पहले भी पुतिन के ऐसे आरोपों को खारिज कर चुका है। कई यूरोपीय देशों ने कहा कि पाइप लाइन में विस्फोट संभवतः तोड़फोड़ के कारण हुए, हालांकि उन्होंने कोई दोषारोपण नहीं किया है। पुतिन ने दावा किया कि इन पाइप लाइन पर हमला उन लोगों ने किया है जो रूस से सस्ती गैस की आपूर्ति को रोककर यूरोप को कमजोर करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि पाइपलाइन में तोड़-फोड़ अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद की एक घटना है और इसका उद्देश्य सस्ती ऊर्जा की आपूर्ति बाधित कर पूरे महाद्वीप की ऊर्जा सुरक्षा को प्रभावित करना है।
उन्होंने आरोप लगाया कि अमेरिका चाहता है कि यूरोप महंगी तरलीकृत प्राकृतिक गैस आयात करने के लिए मजबूर हो। पुतिन ने कहा, ‘जो लोग रूस और यूरोपीय संघ के संबंधों को खराब करना चाहते हैं, नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन में तोड़फोड़ के पीछे वे ही लोग हैं।’ रूस अब भी यूक्रेन के जरिए यूरोप को गैस की आपूर्ति कर रहा है लेकिन बाल्टिक पाइपलाइन में विस्फोटों ने सर्दियों के मौसम से पहले यूरोप में ऊर्जा की कमी की आशंका को बढ़ा दिया है।

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