अवैध शराब का गढ़ बना बालाघाट

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कोरोना संक्रमण महामारी के लॉकडाउन से अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने के बाद जिला आबकारी विभाग द्वारा जिले भर में कच्ची शराब बिक्री पर रोक लगाने के उद्देश्य से कार्यवाही शुरू की 3 महीने पहले शुरू हुई कार्यवाही अब तक समाप्त नहीं हो पाई रोजाना कार्यवाही में बड़ा खुलासा होता और बड़ी मात्रा में कच्ची शराब के लिए उपयोग होने वाला महुआ लहान नष्ट किया जाता है।

जिसके बाद बड़े सवाल उठने लगे कि जिले में इतनी बड़ी मात्रा में महुआ आखिरकार आता कहां से है इस बात की पड़ताल करने जब हमने बालाघाट जिला मुख्यालय के कुछ महुआ व्यापारियों से चर्चा की तो उन्होंने बताया कि वे लोग कल बाजार से मुहवा खरीदी करते हैं जिसका उपयोग पशु आहार के रूप में डेयरी संचालक दूध विक्रेता द्वारा किया जाता है जो बड़ी मात्रा में मुआवजे का उपयोग करते हैं इस हिसाब से पशु आहार की दुकानों से बहुत कम मात्रा में महुआ की बिक्री होती है।

बाइट विशाल मंगलानी, पशु आहार दुकान संचालक

बस मालिक भी बताते हैं कि उनके द्वारा पशुओं में दूध की मात्रा को बढ़ाने के लिए मौके का उपयोग किया जाता है जो बहुत थोड़ी मात्रा में होता है।

बाइट बारेलाल, पशु मालिका

वहीं दूसरी ओर कुछ पशु और दुकान के संचालक बताते हैं कि कुछ लोग महोदय का बहुत गलत उपयोग कर रहे हैं। बालाघाट जिले की पिक्चर इतनी मात्रा में महुआ नहीं होता कि उसका शराब बनाने के लिए उपयोग किया जा सके यहां से बाहर से दूसरे राज्यों से महुआ भी आता है पहले महुआ बेचने के लिए लाइसेंस लगता था लेकिन अब सरकार ने इसे रोक हटा दी है।

बाइट श्याम आहूजा, पशु आहार दुकान संचालक

इस विषय पर जब हमने प्रशासन के अधिकारियों से चर्चा करने की कोशिश की तो उनमें से अधिकांश लोगों ने यही कहा कि महुआ बिक्री खरीदी में छूट देने का मामला प्रदेश शासन स्तर का है। महुआ की खरीदी बिक्री अन्य फल या अनाज की तरह है। जिसे कोई भी व्यक्ति कहीं भी खरीद या बिक्री कर सकता है। हालांकि अवैध शराब पर रोक लगाने की बात है वह अलग विषय है। उस पर लगातार प्रदेश शासन की ओर से आदेश है उसी के तहत कार्यवाही की जा रही है।

बाजार और जिले में मिली जानकारी के अनुसार बालाघाट जिले के भीतर लामता, परसवाड़ा, बैहर, लांजी के वनांचल क्षेत्र में सबसे अधिक मछुआ लोगों द्वारा संग्रहन किया जाता है। या कहा जाए कि फरवरी से मार्च तक यह लोगों के लिए बहुत बड़े रोजगार का साधन बन जाता है।

लेकिन जिले की भीतर इतनी मात्रा में मुहआ नहीं होता कि उससे बहुत अधिक मात्रा में महुआ की शराब बनाई जाए।

जैसा कि बीते दिनों आबकारी विभाग द्वारा कार्यवाही में खुलासा हुआ है। व्यापारी ही बताते हैं कि जिले में उड़ीसा सहित अन्य राज्यों से मुहआ आता है, तो अनुमान यही लगाया जा रहा है कि बड़ी मात्रा में कच्ची शराब बनाने के लिए महुआ दूसरे राज्यों से बालाघाट जिले में पहुंचता है।

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