अहमदाबाद स्थित SAC के डायरेक्टर ने बताई चंद्रयान-3 की पूरी कहानी, 4 साल की मेहनत से ऐसे हुआ तैयार

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चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग का दिन तय हो गया है और सब सब कुछ यदि सही रहा तो 14 जुलाई, 2023 को Chandrayaan-3 चांद के लिए रवाना हो जाएगा। साल 2019 में चंद्रयान-2 की क्रैश लैंडिंग के बाद ISRO टीम चंद्रयान-3 मिशन के लिए जुट गया था। चंद्रयान-2 की आंशिक असफलता से सीख लेते हुए Chandrayaan-3 में करीब-करीब 21 बदलाव किए गए हैं, जिनमें एल्गोरिदम प्रोसेसिंग, सेंसर और हार्डवेयर आदि शामिल है।

चंद्रयान 3 से संबंधित अधिकांश काम अहमदाबाद स्थित स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (यानि SAC-स्पेस एप्लीकेशन सेंटर) में किया गया है। चंद्रयान 3 के बारे में निलेश एम. देसाई (डायरेक्टर-SAC, अहमदाबाद) ने गुजराती जागरण से खास बातचीत ने Chandrayaan-3 को तैयार करने की पूरी कहानी बताई –

Chandrayaan-2 में इतिहास बनाने में असफल रहे तो अब Chandrayaan-3 में क्या बदलाव किए गए हैं और इसकी विशेषताएं क्या है?जवाब: साल 2019 में Chandrayaan-2 की क्रैश लैंडिंग के तुरंत बाद ISRO ने चंद्रयान 3 पर काम शुरू कर दिया था। Chandrayaan-2 में जो खामी आईडेंटिफाई की गई, इसके बाद Chandrayaan-3 के लिए इसरो ने सैटेलाइट के प्रोसेसिंग एल्गोरिदम को सुधारा, जिससे Chandrayaan-3 के प्रदर्शन में सुधार होगा। इस बार LDV (लेजर डॉपलर वेलोसीमीटर) नाम का सेंसर यान की गति को 3 दिशाओं में मापेगा, जिससे सटीक एक्यूरेसी मिलेगी, जिससे लेजर अल्टीमीटर, रडार अल्टीमीटर सुधारा और कैमरा रिज़ॉल्यूशन में भी सुधारा किया गया है। वहीं हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर, प्रोसेसिंग एल्गोरिदम और सेंसर भी बदले गए हैं। इसके अलावा टेस्ट में होने वाली त्रुटियों को भी दूर किया गया है।

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