मोहम्मद रफीक, भोपाल। धमाकों के जरिये होने वाली आतंकी वारदातों पर नकेल कसने की तैयारी हर समय चलती है, लेकिन इनसे निपटने के लिए अब और अधिक पुलिसकर्मियों को दक्ष किया जा रहा है। राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड यानी नेशनल सिक्युरिटी गार्ड (एनएसजी) ने सभी राज्यों के लिए इस संबंध में कार्ययोजना बनाई है। अभी तक बम डिस्पोजल एंड डिटेक्शन कार्यक्रम के तहत मानेसर में प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाते थे। इसमें निर्धारित संख्या के तहत हर राज्य से चार से पांच लोगों को प्रशिक्षण के लिए चुना जाता था। अब एनएसजी की ओर से हर राज्य में प्रशिक्षण कार्यक्रम किए जा रहे हैं।
इससे आरक्षक से लेकर निरीक्षक स्तर तक के पुलिसकर्मियों को बड़ी संख्या में प्रशिक्षण मिल रहा है। मध्य प्रदेश में भोपाल स्थित विशेष शाखा प्रशिक्षण संस्थान में आठ फरवरी से 49 पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यह कार्यक्रम 27 फरवरी तक चलेगा।
जानकारी के अनुसार, मानेसर में राष्ट्रीय स्तर पर प्रशिक्षण में हर राज्य से चुनिंदा पुलिसकर्मियों को बुलाया जाता था। इससे हर राज्य से कम संख्या में पुलिसकर्मी बम का पता लगाने और उन्हें निष्क्रिय करने में दक्ष हो पाते थे। अब हर राज्य में मानेसर से विशेषज्ञ पहुंचते हैं और राज्य पुलिस के अधिक से अधिक कर्मचारियों और अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जाता है।
इस बदलाव के पीछे मंशा यह है कि मैदानी अमले को ही सबसे पहले इस समस्या से जूझना पड़ता है, इसलिए आरक्षक से लेकर निरीक्षक स्तर तक के पुलिसकर्मी अधिक से अधिक संख्या में विस्फोटकों से निपटने में सक्षम हों।
कई तरीकों से धमाके कर रहे आतंकी
सूत्रों के अनुसार, आतंकी बम धमाकों में कई तरह की तकनीक उपयोग में ला रहे हैं। इनमें से दो तरीके मुख्य रूप से सामने आते हैं। पहला तरीका क्रूड बम से हमले का है। इसमें मूल रूप से बारूद ही उपयोग होता है। यह निश्चित दायरे में नुकसान करता है। दूसरा तरीका सुसाइड व्हीकल बर्न आइडी का है।
इसमें डेटोनेटर के साथ पेट्रोल-डीजल या अन्य ज्वलनशील पदार्थों का उपयोग भी होता है। इसमें वाहन को टकराकर धमाका किया जाता है। पेट्रोल-डीजल जैसे ज्वलनशील पदार्थ होने से यह धमाका ज्यादा बड़े क्षेत्र में नुकसान करता है। पुलवामा में हुए आतंकी हमले की तकनीक भी इसी तरह की थी।
इनका कहना है
राज्य स्तर पर प्रशिक्षण का उद्देश्य अधिक से अधिक पुलिसकर्मियों को विस्फोटकों से निपटने में दक्ष करना है। एनएसजी की ओर से ही प्रशिक्षकों को भेजा जाता है। राज्य पुलिस के लिए यह प्रशिक्षण काफी मददगार है।
– अमित सिंह, सहायक पुलिस महानिरीक्षक (कानून-व्यवस्था)