नई दिल्ली: कहते न हैं कि आप किसी मुसीबत से पीछा छुटाने की जितनी कोशिश करो, गाहे बगाहे वह आपको बीच-बीच में परेशान जरूर करती है। देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के साथ भी कुछ ऐसा ही है। कांग्रेस के लिए वो मुसीबत यासीन मलिक है। फिलहाल वह दिल्ली के तिहाड़ जेल में अपने गुनाहों की सजा भुगत रहा है, लेकिन उसकी पत्नी मुशाल हुसैन मलिक सांसद राहुल गांधी से संसद में इस आतंकी के समर्थन में आवाज उठाने की मांग कर रही है। मुशाल को लगता है कि कश्मीर को देश से अलग करने वाला उसका पति जम्मू-कश्मीर में शांति ला सकता है। पढ़कर आपको हैरानी हो सकती है, पर मुशाल की यह चिट्ठी राहुल गांधी और पूरी कांग्रेस के लिए समस्या खड़ी कर सकती है। ठीक वैसे ही जैसे आज से 18 साल पहले 2006 में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह और यासीन मलिक की मुलाकात से खड़ी हुई थी। यह चिट्ठी ऐसे वक्त में आई है जब झारखंड और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव हैं और कांग्रेस दोनोंम जगह गठबंधन का हिस्सा है।
]मिशाल के खत में क्या लिखा है?
मिशाल हुसैन मलिक, आतंकी और कई लोगों का हत्यारे यासीन मलिक की पत्नी का यही पूरा नाम है। चिट्ठी से पहले शायद ही इस नाम को जानता रहा हो या सुना हो। IAF अफसरों के मौत का दोषी, उग्रवादी, जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का अध्यक्ष और कई आतंकी गतिविधियों में शामिल रहे यासीन को लोग ऐसा ही जानते हैं। उसकी पत्नी को पर लगता है कि उसका पति जम्मू-कश्मीर में शांति ला सकता है। मिशाल ने राहुल गांधी को लिखे पत्र में कहा कि 2 नवंबर से, मलिक जेल में अमानवीय व्यवहार का विरोध करने के लिए अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर हैं। यह भूख हड़ताल उनके स्वास्थ्य को और प्रतिकूल रूप से प्रभावित करेगी और एक ऐसे व्यक्ति के जीवन को खतरे में डाल देगी, जिसने सशस्त्र संघर्ष का त्याग करने के बाद अहिंसा की अवधारणा पर विश्वास करना चुना।
मिशाल मलिक ने दरख्वास्त की कि राहुल जी, मैं इन किस्सों को मलिक की महिमा करने के लिए नहीं, बल्कि आपको याद दिलाने के लिए याद कर रही हूं कि वह सौदेबाजी के अपने अंत तक खड़े रहे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि 2019 से, मलिक को भाजपा सरकार हर तरह से प्रताड़ित कर रही है। उन पर 35 साल पुराने एक मामले में भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने का मुकदमा चलाया जा रहा है और अब एनआईए ने उनके खिलाफ गढ़े गए मामलों में मौत की सजा की मांग की जा रही है। मिशाल ने आगेल मांग करते हुए लिखा कि मैं आपसे अनुरोध करती हूं कि आप संसद में अपने उच्च नैतिक और राजनीतिक प्रभाव का उपयोग करें और यासीन मलिक के मामले में बहस शुरू करें, जो जम्मू और कश्मीर धरती के स्वर्ग में शांति वापस लाने का साधन बन सकता है।