आदिम जाति सेवा सहकारी समिति मर्यादित मोहगांव मलाजखंड के प्रबंधक टी के चौकसे को 10 वर्ष की कठोर कारावास और 1लाख रूपये अर्थदंड

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बालाघाट विद्वान अपर सत्र न्यायाधीश भू भास्कर यादव की बैहर की अदालत ने आदिम जाति सेवा सहकारी समिति मर्यादित मोहगांव मलाजखंड के प्रबंधक टी के चौकसे को 741000 रुपए का गबन करने के आरोप में दोषी पाते हुए उसे 10 वर्ष की कठोर कारावास और एक लाख रुपए अर्थदंड से दंडित किए। यह मामला पिछले 10 वर्ष से न्यायालय में विचाराधीन था हाल ही में विद्वान अदालत ने इस मामले में प्रबंधक टी के चौकसे को आरोपित अपराध में दोषी पाया ।इस मामले विद्वान अदालत नेअन्य आरोपियों को आरोपित अपराध से दोषमुक्त किया है। आरोपी टी के चौकसे उर्फ़ तिलक कुमार चौकसे 55 वर्ष वार्ड नंबर 15 राम मंदिर के पास कटंगी थाना कटंगी निवासी है।

अभियोजन के अनुसार आदिम जाति सेवा सहकारी समिति मोहगाव मलाजखंड में 18 फरवरी 2009 से 7 अक्टूबर 2011 के बीच टी के चौकसे प्रबंधक के पद पर पदस्थ थे। उनके स्थानांतरण पश्चात दिलीप कुमार रामटेके ने प्रबंधक का पदभार लिया था तब उन्होंने पाया कि फर्जी तरीके से ऋण स्वीकृत कराकर कृषक दलकराम के ऋण खाते से 28040 रुपए, सल्लूबाई के खाते से 128000 रुपए ,पवन के खाते से 96500 रुपए, बच्चू के खाते से 105000रुपए, जेठिया के खाते से 95000रुपए , सोनाबाई के ऋण खाते से 86000 रुपए मेहतर के ऋण खाते से 72000 रुपए निकाल लिए गए थे। मरियम की मृत्यु दिनांक 2 नवंबर 2010 को हो गई थी उसके बाद फर्जी खाता खोलकर उसके नाम पर 50000 रुपए ,मृतक चैनसिंह के नाम पर 100000 रुपएआहरण किए गए थे। इन घटनाओं के समय समिति प्रबंधक के पद पर टी के चौक से पदस्थ थे। संस्था का अध्यक्ष रमेश टेंभरे ,शाखा पर्यवेक्षक एम जी गोस्वामी तथा बैंक शाखा प्रबंधक वी के तारण, सहायक प्रबंधक ज्ञानेश्वर तथा कंप्यूटर ऑपरेटर पाचे पदस्थ थे। इन गड़बड़ियों के लिए सभी संयुक्त रूप से जिम्मेदार थे। इस तथ्य की जानकारी आने पर तत्कालीन प्रबंधक दिलीप कुमार द्वारा अपने वरिष्ठ अधिकारियों को जानकारी दी गई थी। सहकारी निरीक्षक एम के माने, आर के पौनिकर तथा ऑडिटर एस एन झारिया की संयुक्त टीम द्वारा पूरे तथ्य की जांच कराई गई थी गड़बड़ी के लिए सभी आरोपियों को जिम्मेदार ठहराते हुए जांच रिपोर्ट प्रस्तुत किया गया। तब समिति प्रबंधक दिलीप कुमार ने एक लिखित आवेदन थाना मलाजखंड को पेश किया था। मलाजखंड पुलिस ने शिकायत जांच उपरांत इन आरोपियों के विरुद्ध धारा 409 467 468 471 420 34 भादवी के तहत अपराध दर्ज किया और इस अपराध में आरोपियों को गिरफ्तार करके अभियोग पत्र विद्वान अदालत में पेश किया गया था। यह प्रकरण पिछले 10 सालों से विद्वान अदालत में विचाराधीन था। हाल ही में अपर सत्र न्यायाधीश भू भास्कर यादव की अदालत में इस मामले में सुनवाई करते हुए। इस मामले में प्रबंधक टी के चौकसे को आरोपित अपराध में दोषी पाया।

ऐसे मामलों में साल 2 साल का कारावास का दंड कोई मायने नहीं रखता : विद्वान अदालत

विद्वान अदालत ने सजा के प्रश्न पर कहा कि भ्रष्ट तरीके से पैसा कमाने वाले व्यक्ति यह सोचकर अपराध करते हैं कि दो चार साल जेल में काट लेंगे फिर कमाए हुए पैसे से अय्याशी करेंगे, ऐसे मामलों में साल 2 साल का कारावास का दंड कोई मायने नहीं रखता। परिस्थितियां कठोर कारावास एवं प्रभावी दंड की अपेक्षा कर रही है। विद्वान अदालत ने मामले की समस्त परिस्थितियों को देखते हुए अपने विवेचन निष्कर्ष और उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर आरोपी टी के चौकसे को धारा धारा 409 भादवी के तहत अपराध के आरोप में 10 वर्ष की कठोर कारावास और 50000 रुपए अर्थदंड, धारा 467 भादवि के तहत अपराध में 7 वर्ष का कठोर कारावास और 25000 रुपए अर्थदंड धारा 420 भादवि के तहत अपराध में 7 वर्ष की कठोर कारावास और 25000 रुपए अर्थदंड से दंडित किए। इस मामले में शासन की ओर से अतिरिक्त लोक अभियोजक अशोक बाट द्वारा पैरवी की गई थी ।

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