आदिवासियों की पिटाई वाले मामले में ग्रामीणों ने एसपी कार्यालय में सौपा ज्ञापन

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वन विभाग कर्मचारियों द्वारा ,पूछताछ के नाम पर तीन आदिवासी व्यक्तियो के साथ की गई बेरहमी से पिटाई वाले मामले में सोमवार को मध्य प्रदेश आदिवासी विकास परिषद के बैनर तले ग्राम नारवजपार के ग्रामीणों ने एसपी से मुलाकात कर एक ज्ञापन सौपा है जिसमें उन्होंने टाइगर के शिकार वाले मामले में आदिवासियो को झूठे केस में फसाने का आरोप लगाते हुए, उनकी बेरहमी से पिटाई करने वाले वन विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों पर एफआईआर दर्ज कर उन्हें नौकरी से बर्खास्त करने और उनपर वैधानिक कार्यवाही कर सजा दिलाए जाने की मांग की है। जिन्होंने इस मामले में किसी प्रकार का एक्शन ना होने और पीड़ितों को इंसाफ न मिलने पर जिला मुख्यालय में चकाजाम कर उग्र आंदोलन किए जाने की चेतावनी दी है।

शिकायत करने पर भी वन कर्मियों के खिलाफ नहीं हुई कार्यवाही- प्रकाश
मामले को लेकर की गई चर्चा के दौरान पीड़ित प्रकाश मर्सकोले ने बताया कि वे 29 मई को घर पर थे। वन विभाग वाले आए और उन्हें उठाकर तिरोड़ी ले गए। उनके साथ अन्य 2 आदिवासी ग्रामीणों को भी उठाया गया। और हमें सीधे तिरोड़ी वन विभाग के गेस्ट हाउस ले गए जहां तीन महा पूर्व टाइगर के शिकार वाले मामले को लेकर पूछताछ की और इस पूछताछ के दौरान तीनों आदिवासी ग्रामीणों की बेरहमी से पिटाई की गई है। वन विभाग वाले टाइगर के मूंछ दांत नाखून कहां है ऐसा पूछ रहे थे। हमारे ऊपर गर्म पानी डालकर बेल्ट डंडों से पिटाई की है।इसकी शिकायत हमने अजाक्स थाने में दर्ज कराई है लेकिन अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। इसीलिए आज हमने एसपी कार्यालय में ज्ञापन सौपा है हम चाहते हैं कि मामले में हमें इंसाफ दिया जाए ।

तो उग्र आंदोलन किया जाएगा- दिनेश धुर्वे
वहीं मामले को लेकर की गई चर्चा के दौरान मध्य प्रदेश आदिवासी विकास परिषद जिला अध्यक्ष दिनेश धुर्वे ने बताया कि आज नारवजपार के ग्रामीणों के साथ एसपी से मुलाकात करने आए थे। वारासिवनी विधानसभा क्षेत्र के बुदबुदा के पास नरोड़ी पंचायत के नारवंजगांव का या मामला है वहां के तीन आदिवासियों को वन विभाग के कर्मचारियों ने उठा लिया था। जिन्हें तिरोड़ी ले जाकर उनके साथ मारपीट की गई है। उनके पुट्ठों पर गर्म पानी डालकर उनकी पिटाई की गई है। जबकि टाइगर के शिकार वाले मामले के आरोपी पहले ही पकड़ा चुके हैं। ना तो आरोपी इन लोगों को पहचानते हैं और ना ही यह लोग आरोपी को पहचानते हैं। तो फिर इन्हें क्यों प्रताड़ित किया गया इनके साथ मारपीट क्यों की गई। इस मामले में हम लगातार शिकायत कर रहे हैं हमारी मांग है की पूछताछ के नाम पर मारपीट करने वाले वन अधिकारियों कर्मचारियों को नौकरी से बर्खास्त किया जाए, उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उन पर वैधानिक कार्रवाई की जाए। यही मांग आज हमने एसपी से की है। यदि हमें इस मामले में न्याय नहीं मिला तो मध्य प्रदेश आदिवासी विकास परिषद के बैनर तले नगर मुख्यालय में उग्र आंदोलन किया जाएगा। जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी

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