आदिवासी बैगा की मौत को लेकर सडक़ पर उतरा समाज

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आदिवासी बैगा बिरजू मरावी आत्महत्या मामले में इंसाफ दिलाने की मांग को लेकर शुक्रवार को सर्व आदिवासी समाज के द्वारा कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर 3 दिन का अल्टीमेट देकर वन विभाग के दोषी कर्मचारियों पर कार्यवाही और मृतक की पत्नी को वन विभाग में चतुर्थ श्रेणी में नौकरी सहित परिवार के पालन पोषण के लिए मांग की।

आपको बताये कि विगत दिनों जिले की लांजी तहसील अंतर्गत आने वाले ग्राम उलटनाला निवासी 35 आदिवासी मृतक युवक बिरजु मरावी द्वारा वन विभाग के अधिकारी, कर्मचारियों के दबाव में आकर आत्महत्या कर ली इस मामले में आदिवासी बैगा को न्याय नहीं मिलने पर सर्व आदिवासी समाज अब सडक़ पर उतरकर प्रदर्शन कर रहा है, वहीं शुक्रवार को मुख्यालय पहुंचकर जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंप कर मामले में कार्यवाही की मांग की गई और पीडि़त परिवार को न्याया दिलाने की गुहार लगाई है, वहीं जल्द से जल्द मांग पुरी नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी दी गई है।

कलेक्टर से इंसाफ मांगने हैं = फुलबासन मरावी

मृतक बिरजू मरावी की पत्नी फुलबासन मरावी ने बताया कि विगत 1 वर्ष से वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी मेरे पति को मकान के लिए परेशान कर रहे थे जिनकी प्रताड़ना से तंग आकर पति ने आत्महत्या की हम लोगों से मकान हटाने को लेकर ₹3000 भी लिए थे आज उसी मामले में कलेक्टर के पास इंसाफ मांगने आए थे हमारी मांग है कि पालन पोषण के लिए मुआवजा दे ताकि बच्चों का भरण पोषण हो सके।

वन विभाग के अधिकारियों की प्रताड़ना से तंग आकर बिरजू ने की थी आत्महत्या=भुवन सिंह कोराम

सर्व आदिवासी समाज बालाघाट जिलाध्यक्ष भुवन सिंह कोराम ने बताया की राष्ट्र की संरक्षक जाती है बैगा समाज और राष्ट्रपति के गोद पुत्र कहलाते हैं बैगा। जिनके प्रति प्रदेश शासन की लापरवाही है जो 20 साल से जिस जमीन पर काबिज थे और उसी जमीन पर यह लोग अपना घर बनाकर रह रहे थे जबकि प्रदेश सरकार की जवाबदारी थी की वन अधिकार के तहत भूमि का पट्टा देना था इन लोगों के द्वारा आवेदन भी दिया गया लेकिन इनके आवेदन पर भी कोई कार्यवाही नहीं की गई। प्रदेश सरकार की लापरवाही और विभाग के अधिकारी कर्मचारियों की प्रताड़ना से तंग आकर मृतक स्व. बिरजु मरावी ग्राम उलटनाला देवरबेली वार्ड नं.17 तहसील लांजी जिला बालाघाट का निवासी के द्वारा 7 जून को समय रात्रि 10 बजे फाँसी लगाकर आत्महत्या कर ली गई।
यह कि वन विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों के द्वारा प्रताडऩा के दबाव के कारण यह घटना घटी जोकि मृतक बिरजु मरावी विगत 20 वर्षों से उक्त वन भूमि पर काबिज होकर खेती करके अपना जीवन यापन कर रहा था, एवं मृतक बिरजु के द्वारा बन अधिकार पद्म के लिये आवेदन प्रस्तुत किया गया था। उक्त भूमि पर दो वर्ष पूर्व कच्चा मकान बनाकर जीवन यापन कर रहा था पिछले एक वर्ष से वन विभाग के कर्मचारी व अगारी परिक्षेत्र अधिकारी अभिषेक जाट, सहायक वनपरिक्षेत्र अधिकारी गणेश सहारे एवं बीट गार्ड धारका मिश्रा के द्वारा वन विभाग की कार्यवाही उनके बनाये हुये कच्चे मकान के विरूद्ध कार्यवाही के नाम पर राशि 10,000 रूपये की डिमांड उत्त कार्यवाही को खत्म कर देने के नाम पर की गई थी मृतक बिस्तु मरावी के घर बार-बार आया करते थे और गंदी-गंदी गाली-गलौच करते थे और पैसों की मांग करते थे उसी की एवज में मृतक द्वारा 3000 रूपयें एवं उनकी मांग के अनुसार दो मुर्गे दिये गये थे तथा उक्त घटना के एक दिन पूर्व उक्त कर्मचारी व अधिकारियों के द्वारा पुन: पैसो की डिमांड की गई तथा गंदी-गंदी गाली-गलौच की गई एवं मारने पीटने की धमकी दी गई साथ ही जे.सी.बी. मशीन से घर तोडऩे एवं जान से मारने की धमकी दी गई इस प्रकार वन विभाग के कर्मचारी व अधिकारियों के दुर्व्यवहार से तंग आकर अपनी जीवन लीला समाप्त करने के लिये मजबूर हुआ और अपने मोबाईल पर सुसाइड नोट अपनी स्वयं की आवाज में रिकार्डिंग करने के पश्चात् फॉसी लगा ली गई जो मोबाईल पुलिस के अभिरक्षा में है। इस घटना का जिम्मेदार किसे माना जाए इसे 1 साल से प्रताड़ित किया जा रहा था शासन-प्रशासन ऐसे कमजोर तबके को प्रताड़ित कर आत्महत्या के लिए प्रोत्साहित करते हैं ऐसे अधिकारियों को दंड देना चाहिए उसके परिवार की जवाबदारी शासन को लेना है सर्व आदिवासी समाज यही मांग करते हुए जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा जो दोषी अधिकारी पर दंडात्मक कार्रवाई हो उन्हें निलंबित किया जाए पृथक की पत्नी को वन विभाग में चतुर्थ श्रेणी में नौकरी दी जाए 40 लाख मुआवजा दिया जाए और 3 दिनों के अंदर अधिकारियों पर अपराध दर्ज नहीं होता तो सर्व आदिवासी समाज सड़क में उतर कर मृतक के परिवार को न्याय दिलाने के लिए आंदोलन करें जिसकी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।

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