माननीय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट दिनेश कुमार प्रजापति की न्यायालय ने आरक्षकों के साथ मारपीट करने के आरोप में आरोपी सुशील उर्फ सोनू पिता स्व ० जगलाल सोनवाने उम्र 34 वर्ष , लक्की उर्फ प्रिय कुमार पिता देवेन्द्र प्रसाद तिवारी उम्र 32 वर्ष , लखन पिता स्व ० राजकुमार नैनवानी उम्र 32 वर्ष , सुमित पिता गजेन्द्र ठाकुर , उम्र 30 वर्ष , पवन पिता गणेश कारसपें उम्र 32 वर्ष , रोहित पिता मुन्नासाव डोहरे उम्र 29 वर्ष , शैलेष पिता गणेश प्रसाद बाजनघाटे , उम्र 29 , सभी निवासी बालाघाट को धारा 323 / 34 ( दो काउंट ) भादंसं ० में न्यायालय उठने तक का कारावास एवं 1000-1000 रूपये अर्थदण्ड से दण्डित किये । अर्थदंड की राशि अदा नहीं करने की स्थिति में 30-30 दिवस के अतिरिक्त साधारण कारावास भुगतने का आदेश पारित किये है।
सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी / मीडिया प्रभारीविमल सिह ने घटना के संबंध में जानकारी देते हुये बताया कि दिनांक 29सितम्बर 2015 को फरियादी आरक्षक सतीश पारधी की ड्यूटी आरक्षक कं ० 1352 जगमोहन मीणा के साथ बीट कमांक 03 क्षेत्र भ्रमण में शाम 6 बजे से रात्रि 12 बजे तक की थी ।दोनो रात्रि करीब 09.30 बजे बीट भ्रमण करते हुये मयूर टॉकीज के सामने पहुंचे तो देखे कि मयूर टॉकीज के गेट के अंदर कुछ लोग झगड़ा कर गाली – गलौच कर रहे थे। तब आरक्षक द्वारा वायरलेस सैट से झगड़े की सूचना कन्ट्रोल रूम पुलिस थाना कोतवाली तथा अन्य बीट वाले आरक्षकों को दी गई । फरियादी तथा आरक्षक जगमोहन झगड़ा रुकवाने टॉकीज में गये और झगड़ा करने से मना किया तो सोनू सोनवाने , फरियादी को गाली देते हुये बोला कि तुम लोग होते कौन हो उन्हें रोकने वाले तुम लोग अपना काम करो । फिर सोनू सोनवाने ने फरियादी की शर्ट पकड़कर खीची और सुमित ठाकुर , लकी तिवारी ने आरक्षक जगमोहन मीणा की शर्ट कमीज खींच ली टाकीज के कर्मचारी विवेक भारद्वाज व फहीम खान बीच – बचाव करने आये तो लखन नैनवानी और पवन कारसपें ने टाकीज वालों को रोका और माँ बहन की गंदी – गंदी गालियां दी । फिर सभी आरोपियो ने फरियादी के साथ धक्का – मुक्की कर हाथ – मुक्को से मारपीट किये जिससे फरियादी के पेट , मुंह , पीठ में चोट लगी । सभी आरोपी गाली – गलौच कर भाग गये । आरोपीयो के विरूद्ध अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया । विवेचना पूर्ण होने पर अभियोग पत्र माननीय न्यायालय में पेश किया गया । माननीय न्यायालय विचारण ने मामले के समस्त परिस्थितियों को देखते हुए अपने विवेचन इसका अर्थ उपलब्ध साक्ष्य आधार पर सभी आरोपीयो को आरोपित अपराध में दोषी पाते हुये उन्हें धारा 323 /34 भादवि के तहत अपराध में न्यायालय उठे तक की सजा और प्रत्येक को 1-1हजार रुपये अर्थदंड से दंडित किए।