आलू, प्याज और टमाटर… महंगाई डायन से छूट जाएगा पीछा, जानिए किसने बढ़ाई सरकार की उम्मीद

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सब्जियों की ऊंची कीमत से परेशान आम लोगों के लिए अच्छी खबर है। हाल में आलू, प्याज और टमाटर की कीमत में काफी तेजी आई है। इससे आम लोगों की रसोई का बजट बिगड़ गया है क्योंकि सभी घरों में सबसे ज्यादा इन्हीं सब्जियों का इस्तेमाल होता है। दिल्ली में प्याज की कीमत में पिछले साल के मुकाबले 80% और आलू की कीमत 67% तेजी आई है। टमाटर की कीमत भी 80 रुपये किलो पहुंच गई है। लेकिन केंद्र सरकार का कहना है कि मॉनसून की अच्छी बारिश होने से आलू, प्याज और टमाटर की कीमतों में कमी आएगी। कृषि मंत्रालय के आकलन के अनुसार, प्रमुख सब्जियों जैसे प्याज, टमाटर और आलू की खरीफ बुवाई के लिए लक्षित रकबे में पिछले साल की तुलना में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है। नई फसल के आने से कीमतों में गिरावट आएगी।

सरकार ने शुक्रवार को कहा कि घरेलू बाजार में प्याज की उपलब्धता की स्थिति संतोषजनक है और खुदरा कीमतें स्थिर हो रही हैं। उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि खरीफ मौसम में प्याज की फसलों की बुवाई में 27% की वृद्धि होने का अनुमान है। मंत्रालय ने कहा कि इस साल अच्छी और समय पर मानसूनी बारिश ने प्याज, टमाटर और आलू सहित अन्य बागवानी फसलों को बढ़ावा दिया है। पिछले साल के उत्पादन की तुलना में रबी-2024 के मौसम में प्याज के उत्पादन में मामूली कमी के बावजूद घरेलू बाजार में प्याज उपलब्धता की स्थिति संतोषजनक है।

प्याज का हाल

प्याज की फसल तीन मौसमों में काटी जाती है: रबी मार्च-मई में; खरीफ सितंबर-नवंबर में तथा खरीफ की पिछेती फसल जनवरी-फरवरी में। उत्पादन के संदर्भ में, रबी फसल कुल उत्पादन का लगभग 70% है, जबकि खरीफ और देर से खरीफ मिलकर 30% उत्पादन करते हैं। वर्तमान में बाजार में उपलब्ध प्याज रबी-2024 की फसल है, जिसकी कटाई मार्च-मई 2024 के दौरान की गई थी। सरकार ने कहा कि रबी-2024 में अनुमानित 191 लाख टन का उत्पादन, प्रति माह लगभग 17 लाख टन की घरेलू खपत को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। निर्यात प्रति माह एक लाख टन आंका गया है। मंत्रालय ने कहा कि प्याज की कीमतें स्थिर हो रही हैं क्योंकि बाजार में रबी प्याज की आवक बढ़ रही है। मॉनसूनी बारिश शुरू हो रही है, जिससे उच्च वायुमंडलीय नमी के कारण भंडारण नुकसान की संभावना बढ़ जाती है। इससे किसान बाजार में फसल ला रहे हैं।

आलू की फसल

आलू के बारे में, सरकार ने कहा कि यह अनिवार्य रूप से एक रबी फसल है, लेकिन कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, मेघालय, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में कुछ मात्रा में खरीफ आलू का उत्पादन होता है। सितंबर से नवंबर के दौरान खरीफ आलू की फसल बाजार में उपलब्धता बढ़ाती है। इस साल खरीफ आलू के तहत रकबा पिछले साल के मुकाबले 12% बढ़ाने का लक्ष्य है। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड ने लगभग पूरे लक्षित बुवाई क्षेत्र को पूरा कर लिया है, जबकि कर्नाटक और अन्य राज्यों में बुवाई जारी है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस साल 273.2 लाख टन रबी आलू कोल्ड स्टोरेज में रखा गया था, जो खपत मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त है।

टमाटर की खेती

टमाटर के बारे में सरकार ने कहा कि कृषि मंत्रालय के आकलन के अनुसार, इस साल खरीफ टमाटर का लक्षित रकबा 2.72 लाख हेक्टेयर है, जबकि पिछले साल 2.67 लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई थी। बयान में कहा गया है कि आंध्र प्रदेश के चित्तूर और कर्नाटक के कोलार के प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में फसल की स्थिति अच्छी बताई गई है। कोलार में टमाटर की तुड़ाई शुरू हो गई है और अब से कुछ दिनों में बाजार में आ जाएगी। चित्तूर और कोलार के जिला बागवानी अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार, इस साल टमाटर की फसल पिछले साल की तुलना में काफी बेहतर है। मध्य प्रदेश, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में खरीफ टमाटर का रकबा पिछले साल की तुलना में काफी बढ़ने वाला है।

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