मोबाइल में सिग्नल न आने और इंटरनेट की धीमी स्पीड के कारण उपभोक्ता परेशान हैं। बीते 12 साल में अब तक 102 करोड़ एक्टिव यूजर्स में से 78.97 करोड़ यानी करीब 77% उपभोक्ता अपना नंबर पोर्ट करा चुके हैं। भारतीय टेलीकॉम नियामक प्राधिकरण (ट्राइ) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 2022-23 में अप्रैल से दिसंबर तक 9.4 करोड़ यूजर्स नंबर पोर्ट करवा चुके हैं।
2021-22 में ही 11.3 करोड़ उपभोक्ताओं ने अपना नंबर पोर्ट कराया था, जो बीचे 8 साल में सर्वाधिक है। यूजर्स के इंटरनेट से ब्रॉडबैंड में स्विच ओवर का ट्रेंड भी रहा है। इंटरनेट यूजर्स की संख्या 82.53 करोड़ से घटकर 82.48 करोड़ हो गई जबकि ब्रॉडबैंड यूजर्स 77.8 करोड़ से बढ़कर 78.8 करोड़ हो गए।
वायरलाइन उपभोक्ताओं की संख्या 2.02 करोड़ से 2.48 करोड़ हो गई। 3.88 करोड़ मोबाइल नंबर डिएक्टिवेट हुए हैं।
5 साल में आउटगोइंग कॉल टाइम दो गुना हुआ
2016-17 में मोबाइल पर आउटगोइंग कॉल का औसत समय 405 मिनट प्रति माह था जो 2021-22 में दो गुना से भी ज्यादा 955 मिनट प्रति महीने हो गया।
एयरटेल के यूजर बढ़े, जियो अब भी टॉप
एयरटेल के यूजर्स 35.2 करोड़ से 36 करोड़ हो गए हैं। रिलायंस जियो के यूजर्स 42.2 करोड़ से घटकर 40.3 करोड़ हो गए लेकिन ये अब भी टॉप पर है। कुल मोबाइल यूजर्स में रिलायंस-जियो की भागीदारी बीते 9 महीने में 35.3%से बढ़कर 37.14% हो गई है। वोडाफोन-आइडिया के यूजर्स की संख्या 28.3 करोड़ से 26 करोड़ रह गई। बीएसएनएल के यूजर्स 11.8 करोड़ से 11.3 करोड़ रह गए। एमटीएनएल के 1.52% उपभोक्ता घटे हैं।
पांच साल में डेटा की खपत 15 गुना बढ़ी, दाम एक चौथाई घटे
2021-22 के दौरान प्रति उपभोक्ता औसत डेटा इस्तेमाल 15.8 जीबी प्रति महीने रहा। प्रति जीबी डेटा की कीमत 10.47 रुपए रही। जबकि 2016-17 में प्रति उपभोक्ता औसत मासिक डेटा खपत एक जीबी थी और इसकी कीमत 40.34 रुपए प्रति जीबी थी।
सस्ते डेटा का असर डीटीएच पर
डेटा सस्ता होने का असर डीटीएच (डायरेक्ट टू होम) कनेक्शन में भी नजर आ रहा है। करीब 26 लाख उपभोक्ताओं ने एक वर्ष के दौरान डीटीएच केबल कनेक्शन हटवा लिया। वर्ष 2020-21 में डीटीएच उपभोक्ताओं की संख्या 6.95 करोड़ से घटकर वर्ष 2021-22 में 6.69 करोड़ रह गई।