मौसम खुशनुमा हो चला है। फिजा में हल्की ठंडक भी है। दिन में गुनगुनी धूप की अलहदा रंगत भी है। हरियाली की मखमली चादर चहुंओर बिछ चुकी है। झरनों की सरगम भी वादियों के मंच पर सुनाई देने लगी है। सीमेंट-कंक्रीट के इस जंगल में, वाहनों के भोंपू के शोर-शराबे और धुएं के उठते गुबार से अगर आप ऊब चुके हैं, तो देर किस बात की। बांधिए जूते के फीते, पीठ पर टांगिए और एक बैग लीजिए, जिसमें हो रस्सी, नाश्ता और पानी की बोतल। साथ में एक लकड़ी लीजिए और निकल चलिए शहर के आसपास ट्रैकिंग का मजा लेने। जहां जंगल तो होगा, लेकिन सीमेंट का नहीं बल्कि प्रकृति द्वारा सजाई गई झाड़ियों और पेड़ों के झुरमुट का।
कानों को दुखाने वाला नहीं बल्कि कर्णप्रिय झरनों की कलकल और परिंदों की चहचहाहट, दम घोटने वाला धुआं नहीं, यहां है शुद्ध हवा, जो रोम-रोम को पुलकित कर देती है। इन सबके साथ जो नजारे आपकी आंखों को सुकून देते हैं, उन्हें तो शब्दों में बयां किया ही नहीं जा सकता। ऐसे अनुपम नजारों के अगर आप साक्षी होना चाहते हैं, तो पहुंच जाइये जोगी भड़क। यहां प्रकृति अपनी बाहें फैलाए इस मौसम में आपका स्वागत कर रही है।
शहर से करीब 75 किमी दूर यह स्थान आकर्षक भी है और कई मायनों में खास भी। इंदौर से मानपुर होते हुए यहां जाया जा सकता है। मानपुर से करीब 15 किमी दूर ढाल गांव नजर आता है, जहां पहुंचकर आप खेत-खलिहान का आनंद ले सकते हैं। इस गांव का मुख्य मार्ग पार करने के बाद एक पगडंडी दिखाई देती है, जहां शासकीय विद्यालय बना हुआ है। ढाल गांव के इस विद्यालय तक आप अपने वाहन से पहुंच सकते हैं। यहां वाहन खड़ा कर आपको आगे की दूरी पैदल तय करनी होगी।