यरुशलम: इजरायल में सात लोगों ईरान के लिए जासूसी करने के संदेह में गिरफ्तार किया गया है। इजरायली पुलिस और आंतरिक खुफिया एजेंसी शिन बेट ने सोमवार को इसकी जानकारी दी। आरोप है कि संदिग्धों ने ईरान के लिए लगभग 600 मिशन पूरे किए, जिसमें संवेदनशील सैन्य और बुनियादी ढांचे वाली जगहों पर खुफिया जानकारी करना और ईरान के लिए मानव लक्ष्यों की पहचान करना शामिल है। देश के खिलाफ जासूसी के मामले सामने आने के बाद इसे लेकर इजरायल में सजा पर बहस शुरू हो गई है। कुछ सांसदों ने इसके लिए मौत की सजा की मांग की है।
ये था सबसे गंभीर जासूसी केस
इजरायली मीडिया आउटलेट वाईनेट के अनुसार, अभियोग शुक्रवार को दायर किया जाना है। हालांकि, संदिग्धों के खिलाफ आरोप पहले ही निर्धारित किए जा चुके हैं। रिपोर्ट में इजरायल के सबसे गंभीर जासूसी मामले के बारे में बताया गया है, जो अतीत में इजरायली परमाणु टेक्निशियन मोर्दके वानुनु पर लगा था। उन्होंने डिमोना में परमाणु रिएक्टर की जानकारी और तस्वीरें लीक की थीं। मोर्दके पर देशद्रोह का भी आरोप लगाया गया। दोषी पाए जाने के बाद उन्हें 18 साल जेल की सजा सुनाई गई।
इजरायल में क्या है नियम?
वाईनेट की रिपोर्ट के अनुसार, इजरायली दंड संहिता जासूसी के आरोपों को पांच अलग-अलग अपराधों में विभाजित करती है। जासूसी और दुश्मन को जानकारी देने जैसे गंभीर अपराधों के लिए 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की जेल की सजा हो सकती है। इजरायल के पूर्व मंत्री गोनेन सेगेव पर ईरान के लिए जासूसी का आरोप लगाया गया था। उन्हें जासूसी का दोषी ठहराया गया था, लेकिन देशद्रोह का नहीं। इसके चलके 11 साल जेल की सजा हुई।
हिजबुल्लाह के लिए जासूसी करने वाली अमीर मखौल को भी इसी तरह 2011 में 9 साल की सजा सुनाई गई थी। सजा में अंतर इस बात पर निर्भर करता है कि जासूसी करने वाले ने दुश्मन को जानकारी दिए बिना ऐसा किया है या नहीं। देशद्रोह के अपराध में सात गंभीर आरोप शामिल हैं, जिनमें सबसे गंभीर मामलों में मृत्युदंड की संभावना है। हालांकि, इन अपराधों को वर्तमान अभियोग में शामिल किए जाने की संभावना नहीं है।