इजरायल का खौफ, सुखोई-35 के बाद पाकिस्‍तान-चीन का JF-17 लड़ाकू विमान खरीदेगा ईरान? ड्रैगन ने दिया है झटका

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तेहरान: इजरायल और अमेरिका के हमले के खौफ से जूझ रहा ईरान अब फाइटर जेट की नई फौज खड़ी कर रहा है। ईरानी वायुसेना को हाल ही में रूस से सुखोई 35 फाइटर जेट की पहली खेप मिली है। अब अरब मीडिया में यह भी चर्चा है कि ईरान पाकिस्‍तान और चीन के संयुक्‍त रूप से बनाए गए जेएफ-17 थंडर फाइटर जेट को खरीद सकता है। ईरान के एयर फोर्स के चीफ ने हाल ही में पाकिस्‍तान की यात्रा की थी ताकि इस डील को लेकर चर्चा की जा सके। इससे पहले अजरबैजान ने भी पाकिस्‍तान से जेएफ-17 फाइटर जेट खरीदा था। वहीं पाकिस्‍तान से जेएफ 17 फाइटर जेट खरीदकर म्‍यांमार की वायुसेना पछता रही है। ये विमान खरीदने के बाद से ही खड़े हैं और गृहयुद्ध के बीच कबाड़ साबित हो रहे हैं।

ईरान के एयर फोर्स के कमांडर ब्रिगेडियर जनरल हमेद वहीदी ने हाल ही में पाकिसतान की यात्रा की थी। उनके साथ वरिष्‍ठ अधिकारियों का एक दल भी गया था। इस यात्रा के दौरान वहीदी ने इंडस शील्‍ड 2024 हवाई अभ्‍यास का जायजा लिया था। उन्‍होंने पाकिस्‍तानी एयरफोर्स के चीफ के साथ मुलाकात भी की थी। अरब मीडिया का दावा है कि ईरानी एयरफोर्स चीफ की इस यात्रा का मकसद जेएफ 17 फाइटर जेट हासिल करना था। इसे चीन की मदद से पाकिस्‍तान में बनाया गया है। ईरान की नजर जेएफ 17 के ब्‍लाक 3 पर है जिसके काफी आधुनिक होने का दावा किया जाता है।


चीन ने जे10 सी व‍िमान देने से मना किया

ईरान चाहता था कि चीन उसे जे 10 सी फाइटर जेट दे जो उसने पाकिस्‍तान को दिया है। चीन ने इस जे 10 विमान को देने से मना कर दिया। ईरान चाहता था कि चीन 36 जे 10 सी विमान उसे दे दे लेकिन पैसे को लेकर मामला फंस गया। चीन चाहता था कि ईरान विमान के लिए नकद पैसा दे लेकिन तेहरान उसे इन विमानों के बदले तेल बेचना चाहता था। इजरायल के साथ तनाव के बाद से ही ईरान अपनी सबसे बड़ी कमजोरी वायुसेना को मजबूत करने में जुटा है। ईरान के खिलाफ कई पश्चिमी देशों के प्रतिबंध लगे हैं, इस वजह से वह फाइटर जेट नहीं खरीद पा रहा है।

पश्चिमी देशों के प्रतिबंध की वजह से ईरान अभी अमेरिका के 1979 में बनाए गए F-14 टामकैट, F-5 और F-4 विमानों को उड़ा रहा है। ये व‍िमान ईरान ने इस्‍लामिक क्रांति से पहले अमेरिका से खरीदा था। हाल ही में ईरान ने रूस से सुखोई-35 फाइटर जेट की डील की है। इन विमानों को ईरान में ही असेंबल किया जाएगा। रूस और ईरान के बीच इस डील को बढ़ते रक्षा सहयोग के रूप में देखा जा रहा है। इससे पहले ईरान ने बहुत बड़ी तादाद में हमलावर ड्रोन और मिसाइलें रूस को बेची थीं। विश्‍लेषकों का कहना है कि ईरान आने वाले समय में 100 सुखोई 35 विमान का निर्माण कर सकता है।

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