क्रोएशिया के एक छोटे से शहर लेगार्ड में सिर्फ 1 कूना की कीमत पर घर मिल रहे हैं। भारतीय करेंसी के हिसाब से इनकी कीमत सिर्फ 11.83 पैसे है। दरअसल, पलायन यहां की बड़ी समस्या है। बाकी जगहों से कोई जुड़ाव न होने के कारण धीरे-धीरे यह कस्बा वीरान होता जा रहा है। यहां आबादी बढ़ाने के लिए प्रशासन महज 1 कूना में घर बेंच रहा है। हालांकि, यहां घर खरीदने पर आपको कम से कम 15 साल रहना जरूरी है। इसके अलावा भी प्रशासन ने कुछ शर्तें रखी हैं। यहां घर खरीदने के बारे में सोचने से पहले इन शर्तों को जानना जरूरी है।
क्या हैं शर्ते
क्रोएशिया के इस कस्बे में घर खरीदने के लिए आपकी उम्र 40 साल से कम होनी चाहिए और आपका आर्थिक रूप से सक्षम होना जरूरी है। इसके साथ ही यहां घर खरीदने के बाद आपको यहां कम से कम 15 साल रहना होगा। प्रशासन जीविका के साधन के लिए आपको फूड इंडस्ट्री और मेटल इंडस्ट्री में नौकरी देगा। इससे आप यहां अपना जीवनयापन कर सकेंगे।
62.62 स्क्वायर फीट में फैला है शहर
लेगार्ड शहर 62.621 स्क्वायर फीट में फैला है। शहर के चारों ओर हरियाली ही हरियाली है। जंगलों के बीच बसा यह शहर काफी फेमस है। यह कभी क्रोएशिया साम्राज्य का दूसरा सबसे ज्यादा आबादी वाला शहर था। 70 से 100 साल पहले लेग्राड शहर में आज के मुकाबले दोगुने से ज्यादा लोग रहते थे। लेकिन सीमावर्ती बनने और 100 साल पहले ऑस्ट्रो और हंगरियन साम्राज्य के टूटने के बाद लोग धीरे धीरे यहां से पलायन करते गए और अब जनसंख्या यहां पर काफी कम रह गई है। इस शहर में अब 2,250 लोग रहते हैं। कस्बे के मेयर इवान सबोलिक ने कहा कि नए बॉर्डर बनने के बाद उनका शहर सीमा के किनारे आ गया और देश के बाकी शहरों के साथ उसके संबंध काफी कम हो गए। इसके बाद से यहां की आबादी लगातार कम हुई है।
कहां स्थित है यह शहर
लेगार्ड शहर कोपरिवनिका और पूर्वी लडबर्ग में स्थित है। यहां का सबसे करीबी बॉर्डर हंगरी के साथ है। यहां कुल 2.241 लोग रहते हैं। हालांकि, यहां के मेयर का कहना है कि एक किरायेदार के रूप में अपना जीवन बिताने से बेहतर है कि अपने शहर और अपने घर में रहें। उन्होंने कहा कि 15 साल उनके लिए कोई समस्या नहीं है। यहां जाने का उनका कोई प्लान ही नहीं है।
लेगार्ड से क्यों कम हो रही है जनसंख्या
अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण 15वीं शताब्दी के अंत में लेगार्ड बहुत ही बड़ा बाजार बन चुका था और यहां तेजी से जनसंख्या बढ़ी थी। इसके बाद ऑस्ट्रो और हंगरियन साम्राज्य का पतन हुआ और यह शहर हासिये पर चला गया।
घर की मरम्मत के लिए मिल रहे तीन लाख रुपये
अब तक यहां 17 घर बेचे जा चुके हैं। इन घरों को मरम्मत की जरूरत है। इस वजह से यहां का प्रशासन नए रहवासियों को घर की मरम्मत के लिए 2500 कुना दे रहा है। भारतीय मुद्रा में इसकी कीमत लगभग 3 लाख रुपये है। वहीं, अगर किसी दंपति को अपना प्राइवेट घर खरीदना है तो प्रशासन उस घर की 20 फीसदी कीमत अदा करेगी। हालांकि, यह कीमत 35000 कूना से ज्यादा नहीं हो सकती है।