इस साल दुनिया के ज्यादातर देश अत्यधिक गर्मी से परेशान हुए। इस बार गर्मी में लंदन इतना गर्म हो गया है कि लोग बेहाल हो गए हैं। अखबारों में खबरें छपी की शहर का तापमान दुबई से भी अधिक हो गया है। स्पेन और पुर्तगाल जैसे यूरोपीय देशों में भी इस साल रिकॉर्ड गर्मी दर्ज की गई। जंगल की आग ने यूरोप के कुछ हिस्सों को अपनी चपेट में ले लिया और सूखे के कारण अब भोजन की कमी का खतरा पैदा हो गया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि केवल तापमान ही किसी शहर में रहने की क्षमता का पैमाना नहीं है, गर्मी और ह्यूमिडिटी का मेल भी महत्वपूर्ण है। यही कारण है कि समान तापमान पर भी मिडिल ईस्ट, यूरोप की तुलना में बहुत कम रहने योग्य है। मिडिल ईस्ट अभी भी काफी गर्म है। ईरान के शहर अबादान ने इस साल सबसे अधिक तापमान का रिकॉर्ड बनाया है। बीते 5 अगस्त को यहां का तापमान 53 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया था। लेकिन क्षेत्र में उच्च स्तर की ह्यूमिडिटी शहर को रहने लायक नहीं छोड़ती।
जब मौसम में ह्यूमिडिटी अधिक होती है तो तापमान का कम होना मुश्किल होता है। मिडिल ईस्ट विशेष रूप से बढ़ते वैश्विक तापमान की चपेट में है। कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में पर्यावरण विज्ञान और इंजीनियरिंग के प्रोफेसर टैपियो श्नाइडर का मानना है कि यह क्षेत्र पहले से ही गर्म है, इसके साथ ही ह्यूमिडिटी और बढ़ सकती है। इसलिए ग्लोबल वार्मिंग इसे उस क्षेत्र की कैटेगरी में धकेल सकती है, जहां मानव स्वास्थ्य खतरे में है।
फारस की खाड़ी के तेल-समृद्ध अरब देशों ने खुद को एयर कंडीशनिंग के साथ गर्मी के खिलाफ तैयार किया है, लेकिन अन्य क्षेत्रीय देशों के पास इस तरह की तकनीक नहीं है। इराक के बसरा शहर में कर्मचारियों को इस महीने की शुरुआत में अधिक गर्मी के कारण घर में रहने के लिए कहा गया था। इस दौरान केवल 10 घंटे तक बिजली सप्लाई मिली।
वहीं गाजा में भी लोगों को गर्मी से राहत तभी मिलती है, जब बिजली आती है। यहां बिजली केवल तीन से चार घंटे के लिए दी जा रही। इसी तरह लेबनान की सरकार भी अब प्रति दिन दो घंटे से अधिक बिजली नहीं दे पा रही। पर्ड्यू यूनिवर्सिटी ने एक रिसर्च में पाया कि 32 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर स्वस्थ लोगों के लिए भी बाहर काम करना असंभव हो जाता है। शारीरिक मेहनत की सीमा 31 डिग्री सेल्सियस है। एमआईटी सिमुलेशन में पाया गया है कि यदि फारस की खाड़ी में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन की वर्तमान गति स्थिर रहती है, तब भी अबू धाबी, दुबई और दोहा जैसे शहरों में सदी के अंत तक तापमान साल में कई बार 35 डिग्री सेल्सियस को पार करेगा।