दुनिया भर में फैले विराट कोहली के प्रशंसकों के हाथ एक बार फिर निराशा हाथ लगी। सेंचुरियन टेस्ट की दूसरी पारी में भी विराट कोहली कोई कमाल नहीं दिखा सके और सिर्फ 18 रनों के निजी स्कोर पर स्टंप के पीछे कैच आउट हो गये। साल 2021 की ये उनकी अंतिम पारी थी और विराट कोहली के शतकों का सूखा इस साल भी खत्म नहीं हो पाया। विराट कोहली ने अपना पिछला शतक नवंबर 2019 में बांग्लादेश के खिलाफ बनाया था। कोहली का यह इंटरनेशनल क्रिकेट का 70वां शतक था और पोंटिंग के 71 शतकों की बराबरी करने से सिर्फ एक शतक पीछे हैं। लेकिन उसके बाद से इसके बाद कोहली का बल्ला शांत हो गया है। वे 2020 के बाद 2021 में भी कोई शतक नहीं लगा सके।
बार-बार गलती दुहरा रहे हैं कोहली?
विराट कोहली ने पहली पारी में 35 रन बनाये थे और दूसरी पारी में 18 रन बनाये। इन दोनों ही पारियों में विराट कोहली ने दोनों पारियों में एक जैसी गलती की और नतीजा ये रहा कि दोनों बार विकेट के पीछे लपके गये। पहली पारी में स्टंप के बाहर की गेंद को छेड़ने की कोशिश करते हुए विराट ने विकेट गंवाया और दूसरी पारी में वो ऐसी ही गेंद को ड्राइव करने के चक्कर में आउट हुए। मार्को येनसन की जिस गेंद पर वो आउट हुए वो मामूली गेंद थी, और उसे कोई भी बल्लेबाज छोड़ देता। लेकिन विराट कोहली ने उसे छेड़ने की कोशिश की और आउट हो गए।
भारत के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने भी कोहली के स्ट्रोक के प्रयास को ढीला शॉट करार दिया। सुनील गावस्कर ने कहा कि भारतीय कप्तान को लंच के तुरंत बाद ऐसा शॉट खेलते देखना सच में हैरान करने वाला है। गावस्कर बोले, ‘आपको ये मानना होगा कि ये बेहद ही खराब शॉट था। लंच के बाद पहली ही गेंद पर ऐसा शॉट बहुत ही खराब। हर बल्लेबाज ब्रेक के बाद थोड़ा समय लेता है अपने पैर चलाता है। कोहली एक अनुभवी बल्लेबाज हैं लेकिन उनके दिमाग में तेजी से रन बनाने की बात चल रही होगी ताकि जल्द पारी घोषित की जा सके, शायद तभी ये गलती हुई।
आपको ये जानकर अचरज होगा कि विराट कोहली पिछले 3 सालों में 11 बार ड्राइव लगाते हुए आउट हुए हैं। टेस्ट फॉर्मेट में बार-बार एक ही तरह तरीके से आउट होना सच में चिंता का विषय है। 2021 की बात करें तो कोहली ने 11 टेस्ट में महज 28.21 की औसत से 536 रन बनाए। इस दौरान उनके नाम 4 अर्धशतक रहे, जबकि बेस्ट स्कोर 72 रहा। खराब फॉर्म की वजह से ही उन्हें टी-20 टीम की कप्तानी छोड़नी पड़ी, जबकि शायद उनके खराब फॉर्म की वजह से ही बीसीसीआई ने वनडे की कप्तानी से हटाने का फैसला किया, ताकि वो अपनी बल्लेबाजी पर फोकस कर सकें।