ईरान का चाबहार पोर्ट भारत को मिला तो बढ़ी दुनिया की दिलचस्पी, कजाकिस्तान-सिंगापुर का भी अब बड़ा प्‍लान, जानें

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कजाकिस्तान और सिंगापुर चाबहार पोर्ट के जरिए संसाधन संपन्न यूरेशिया के साथ एक व्यापार मार्ग स्थापित करने का इच्छुक हैं, जिसके मैनेजमेंट की जिम्मेदारी 10 साल के लिए भारत को मिली है। ये यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन (ईएईयू) के साथ एक मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) के तहत है। सिंगापुर कजाकिस्तान के साथ एक व्यापार और पारगमन गलियारे की संभावना तलाश रहा है। चाबहार बंदरगाह दक्षिण पूर्व एशिया और सेंट्रल एशिया के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी है। कजाकिस्तान के राष्ट्रपति ने हाल ही में सिंगापुर का दौरा किया और अपने मेजबान के साथ उनकी बातचीत में व्यापार और पारगमन गलियारे का मुद्दा प्रमुखता से उठाया गया।

पिछले साल मई में जब सिंगापुर के तत्कालीन राष्ट्रपति ने कजाकिस्तान का दौरा किया था तो दोनों पक्षों ने एक व्यापार और पारगमन गलियारा बनाने का फैसला किया था जो यूरेशिया को दक्षिण पूर्व एशियाई बाजार से जोड़ेगा। सिंगापुर ने 2019 में ईएईयू के साथ एक एफटीए पर हस्ताक्षर किए थे। 2023 की राष्ट्रपति यात्रा का एक महत्वपूर्ण परिणाम एफटीए के ढांचे के भीतर सेवाओं और निवेश में व्यापार पर ईएईयू और सिंगापुर के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर करना था। एक और उभरती अर्थव्यवस्था और भारत के करीबी रणनीतिक साझेदार वियतनाम ने भी ईएईयू के साथ एक एफटीए में प्रवेश किया है।

भारत ने की है निवेश की पेशकश

13 मई को भारत और ईरान ने एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए जो भारत को चाबहार बंदरगाह के प्रबंधन के लिए 10 साल का अधिकार देता है। 2018 के दिसंबर में इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (आईपीजीएल) ने अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल चाबहार फ्री जोन (आईपीजीसीएफजेड) के माध्यम से चाबहार पोर्ट का संचालन अपने हाथ में ले लिया। इसके बाद से इसने 90,000 से अधिक टीईयू कंटेनर यातायात और 8.4 एमएमटी से अधिक थोक और सामान्य कार्गो को संभाला है।

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