एक्सपर्ट बोले- विंड पैटर्न ठीक से नहीं बनने और उनका मूवमेंट ठीक नहीं होने के कारण प्रदेश में नहीं हो पा रही झमाझम

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प्रदेश में मानसून को दस्तक दिए एक महीना होने को आया है, लेकिन अब तक पूरे प्रदेश में एक जैसी बारिश नहीं हुई है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक इसके मुख्य कारण विंड पैटर्न का सपोर्ट नहीं करना, लो प्रेशर एरिया ठीक से नहीं बन पाना। जो बने, उनका जल्दी से वीक होना, या फिर उनका मूवमेंट ठीक नहीं रहना है। दैनिक भास्कर ने इस बार टुकड़ों में हो रही बारिश को लेकर जब एक्सपर्ट से बात की, तो उन्होंने इसके कई कारण बताए।

प्रदेश में बारिश की स्थिति ऐसी है कि सिर्फ 8 जिलों में औसत से ज्यादा बारिश हुई है। वहीं, 8 जिले ऐसे हैं, जहां आंकड़ा 50% से भी कम है। कभी पूर्वी तो कभी पश्चिमी मप्र भीगता रहा, लेकिन इतना नहीं कि पूरा प्रदेश पानी-पानी हो जाए। अब भी कई ऐसे जिले हैं, जहां औसत से आधी बारिश भी नहीं हुई है। इस साल ज्यादा बारिश के लिए ग्वालियर-चंबल संभाग के साथ मालवा -निमाड़ भी तरस रहा है।

मौसम एक्सपर्ट डीपी दुबे ने बताया कि इस बार एक जैसी बारिश नहीं होने के पीछे कई कारण रहे। विंड पैटर्न का सपोर्ट नहीं करना। लो प्रेशर एरिया ठीक से नहीं बन पाना। जो बने, उनका जल्दी से वीक होना, या फिर उनका मूवमेंट ठीक नहीं रहना। कुछ समय पहले एक कम दबाव का क्षेत्र बना, लेकिन हवा की दिशा ठीक नहीं रही और वह बिहार की ओर बढ़ गया। इसके बाद झारखंड में भी एक सिस्टम डेवलप हुआ, लेकिन इसका मूवमेंट इतना तेज था कि यह एक ही दिन में मप्र काे क्रॉस करता हुआ गुजरात पहुंच गया। यही वजह रही कि सिस्टम एक्टिव होने के बाद भी उम्मीद के अनुसार बारिश नहीं हुई।

20 जुलाई के बाद बंगाल की खाड़ी में बन रहा मजबूत सिस्टम
मौसम एक्सपर्ट दुबे ने बताया कि अभी तो कोई स्ट्रांग सिस्टम एक्टिव नहीं है। जो थे, वे भी अब कमजोर हो चुके हैं। 20 जुलाई के बाद बंगाल की खाड़ी में एक सिस्टम बन रहा है। उससे बारिश की संभावना बन रही है। गुजरात और राजस्थान तरफ अभी मानसून थोड़ा एक्टिव है। इसी से मालवा-निमाड़ में हल्की बारिश होती रहेगी। हालांकि टुकड़ों-टुकड़ों में ही पानी गिरेगा। लोकल वेदर से ही हल्की बारिश होती रहेगी। जुलाई का महीना आधा बीत चुका है। ऐसे में इस बार का कोटा पूरा करने की उम्मीद अब अगस्त से है। हालांकि यदि 10 दिन भी अच्छी बारिश हो गई, तो बारिश का कोटा पूरा हो सकता है। प्रदेश में जुलाई और अगस्त में ही अच्छी बारिश होती है।

मप्र में बारिश की स्थिति।

मप्र में बारिश की स्थिति।

अगले 24 घंटे में प्रदेश में बारिश के हाल
मौसम विभाग ने भोपाल, शहडोल, होशंगाबाद, जबलपुर, उज्जैन संभाग के ज्यादातर जिलों में बिजली गिरने की चेतावनी जारी की है। इसके अलावा इंदौर, खंडवा, खरगोन, धार, सागर, छतरपुर और टीकमगढ़ में भी बिजली गिरने की संभावना है। इसके अलावा जबलपुर, शहडोल, सागर, रीवा, इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर, चंबल और हाेशंगाबाद संभाग में कुछ जिलों में गरज चमक के साथ बौछारें पड़ने की भी संभावना जताई गई है।

प्रदेश के इन 8 जिलों में सामान्य से ज्यादा बारिश

  • छिंदवाड़ा में अब तक 316 मिमी बारिश, जो सामान्य से 5%ज्यादा।
  • नरसिंहपुर में अब तक 349 मिमी बारिश, जो सामान्य से 21% ज्यादा।
  • रीवा में अब तक 288 मिमी बारिश, जो सामान्य से 12% ज्यादा।
  • शहडोल में अब तक 306 मिमी बारिश, जो सामान्य से 12% ज्यादा।
  • सीधी में अब तक 345 मिमी बारिश, जो सामान्य से 22% ज्यादा।
  • सिंगरौली में अब तक 376 मिमी बारिश, जो सामान्य से 60% ज्यादा।
  • बैतूल में अब तक 278 मिमी बारिश, जो सामान्य से 2% ज्यादा।
  • देवास में अब तक 257 मिमी बारिश, जो सामान्य से 3 %ज्यादा।

प्रदेश के 8 जिलों में 50% से कम बारिश
छतरपुर (49%), दमोह (45%), पन्ना (31%), टीकमगढ़ (42%), भिंड (44%), दतिया (45%), ग्वालियर (48%), मुरैना (34%)।

(नोट : आंकड़े 1 जून से 15 जुलाई 2021 तक)

1 जून से 15 जुलाई तक बारिश की स्थिति।

1 जून से 15 जुलाई तक बारिश की स्थिति।

गुजरात में बने चक्रवात की वजह से इंदौर-उज्जैन संभाग में हो रही बारिश
गुजरात में बने चक्रवात की वजह से इंदौर-उज्जैन संभाग में बारिश हो रही है। अब तक इंदौर में इसे कुल 115 मिमी (4.5 इंच) पानी बरसा है। गुरुवार अलसुबह कुछ देर तेज बारिश हुई। इसके बाद सुबह से कहीं धूप तो कहीं छांव का दौर चलता रहा। टुकड़ों में हो रही बारिश के कारण तापमान भी कम होने का नाम नहीं ले रहा है। उमस ने लोगों को परेशान कर दिया है। बारिश कभी पूर्वी हिस्से में तो कभी पश्चिमी शहर में होती रही है। इस सीजन अब तक पूरे शहर में एक जैसी बारिश नजर नहीं आई है। इसी का असर तापमान पर भी पड़ रहा है। इंदौर में अधिकतम तापमान जहां 2.6 डिग्री गिरावट के साथ 30.6 डिग्री दर्ज किया गया जो सामान्य से 1 डिग्री कम है। वहीं, रात का न्यूनतम तापमान 25 डिग्री पर पहुंच गया है, जो सामान्य से 2 डिग्री ज्यादा है।

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