नई दिल्लीः यूरेनियम ऊर्जा का अथाह भंडार होता है। इसका इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि एक मुर्गी के अंडे के बराबर का यूरेनियम 88 टन कोयले जितनी बिजली पैदा कर सकता है। इस बीच, अच्छी खबर यह है कि भारत ने पिछले पांच साल में 93,000 टन से अधिक इन-सीटू यूरेनियम संसाधनों की पहचान की है, जिसमें आंध्र प्रदेश और झारखंड में हुई प्रमुख खोज शामिल हैं। भारत में बड़ी मात्रा में यूरेनियम पाए जाने से बिजली उत्पादन क्षेत्र में भारी फायदा मिलेगा और अर्थव्यवस्था भी रॉकेट ऊपर भागेगी।
राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में केंद्रीय परमाणु ऊर्जा राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि भारत ने पिछले पांच वर्षों में 93,000 टन से अधिक इन-सीटू यूरेनियम संसाधनों की पहचान की है, जिसमें आंध्र प्रदेश और झारखंड में हुई प्रमुख खोज शामिल हैं। 2020 से 2025 (दिसंबर 2024 तक) के बीच एटॉमिक मिनरल्स डायरेक्टोरेट फॉर एक्सपोलेरेशन एंड रिसर्च(एएमडी) ने चार राज्यों में कुल 93,700 टन इन-सीटू यूरेनियम ऑक्साइड संसाधनों में वृद्धि के बारे में बताया है।
बता दें कि यूरेनियम प्राकृतिक अवस्था में सोने से 500 गुना ज्यादा पाया जाता है। यूरेनियम भी रेडियोधर्मी तत्व है जो समय के साथ खत्म होता है। अपने नष्ट होने के दौरान यह भारी मात्रा में ऊर्जा पैदा करता है। इसी विशेष गुण की वजह से यूरेनियम को परमाणु रिएक्टरों के लिए ईंधन का मुख्य स्रोत माना जाता है। इसे येलोकेक भी कहा जाता है। इंटरनेशनल एटॉमिक एजेंसी के मुताबिक यूरेनियम एक प्राकृतिक तत्व है जो पृथ्वी के सतह पर बनी पपड़ी और समुद्र के पानी में पाया जाता है। यूरेनियम की थोड़ी मात्रा हर जगह मौजूद है। चट्टान, मिट्टी, पानी और यहां तक कि हमारे शरीर में भी यह पाया जाता है। समुद्र में भी काफी महीन स्थिति में यूरेनियम के लगभग 4 अरब टन भंडार हैं।
आंध्र प्रदेश में सबसे ज्यादा यूरेनियम मिला
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक आंध्र प्रदेश 60,659 टन के साथ सबसे आगे है, उसके बाद झारखंड 27,156 टन के साथ दूसरे स्थान पर है। राजस्थान और कर्नाटक में भी छोटे भंडार पाए गए। जितेंद्र सिंह ने बताया कि देश में यूरेनियम की कुछ मौजूदा इकाइयों की क्षमता विस्तार और नई उत्पादन सुविधाओं (खानों और संयंत्रों)के निर्माण सहित 13 परियोजनाओं को शुरू करने के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दे दी गई है।
बिजली उत्पादन में मिलेगी मदद
मंत्री ने कहा कि विभिन्न केंद्रीय और राज्य ट्रिब्यूनल्स से वैधानिक मंजूरी प्राप्त करने से संबंधित परियोजना-पूर्व गतिविधियां शुरू कर दी गई हैं। एक बार चालू होने पर इन परियोजनाओं से सामूहिक रूप से 11.535 मिलियन टन प्रति वर्ष (टीपीए) अयस्क का उत्पादन होने की उम्मीद है और लगभग 1,095 टीपीए यू308 (ट्राइयूरेनियम ऑक्टोक्साइड) प्राप्त होगा, जो परमाणु ईंधन और बिजली उत्पादन के लिए एक प्रमुख जरूरी तत्व है।