अब एक व्यक्ति के खून से कम से कम चार मरीजों के खून के अलग-अलग तत्वों की जरूरत पूरी की जा सकेगी। इससे प्रदेश में खून की कमी भी दूर हो सकेगी। खून के सभी तत्वों को अलग करने के लिए दो से तीन जिला अस्पतालों के बीच तत्व अलग करने की मशीनें (कंपोनेंट सेपरेटर) लगाई जाएंगी। इसके साथ ही मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य बन जाएगा, जहां सभी मरीजों को पूरा खून चढ़ाने की जगह जरूरत के अनुसार खून के तत्व चढ़ाए जाएंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि संपूर्ण खून चढ़ाने से मरीज के शरीर में ऐसे तत्व भी पहुंचते हैं, जिनकी उसे जरूरत नहीं होती है। इससे उसे नुकसान भी उठाना पड़ता है। बता दें कि अभी प्रदेश में सिर्फ इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, रीवा के मेडिकल कालेजों और सागर, शहडोल, उज्जैन, सतना, छिंदवाड़ा के जिला अस्पतालों में खून के तत्व अलग करने की सुुविधा है।
स्वास्थ्य संचालनालय के अफसरों ने बताया कि प्रदेश्ा सभी जिला अस्पतालों के ब्लड बैंकों के साथ ही सिविल अस्पताल बैरागढ़, जबलपुर और भोपाल के इंदिरा गांधी गैस राहत अस्पताल के ब्लड बैंक में खून के तत्व (कंपोनेंट) मिल सकेंगे। यह सब ब्लड बैंकों को अत्याधुनिक (आटोमेशन) करने की प्रक्रिया के तहत किया जाएगा। इस पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की तरफ से 50 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। सुविधा उपलब्ध कराने के लिए जल्द ही टेंडर जारी होने वाले हैं।
यह भी होगा ऑटोमेशन में
– नई व्यवस्था में ख्ाून चढ़ाने के पहले मरीज और रक्तदाता के खून की क्रास मैचिंग मशीनों से होगी।
– खून लेने के पहले हेपेटाइटिस बी, सी, एचआइवी, सिफलिस और मलेरिया की जांच अभी रैपिड किट से की जाती है। अब एलाइजा टेस्ट किया जाएगा।
प्रदेश को हर साल ब्लड की जरूरत – 8 लाख यूूनिट
हर साल रक्तदान (बदले में दिया जाना वाला ब्लड मिलाकर) – साढ़े तीन लाख्ा यूनिट
इसमें स्वैच्छिक रक्तदान (कैंप व ब्लड बैंक में आकर रक्तदान करने वाले) – 95 हजार यूनिट
खून के तत्व व उनका उपयोग
तत्व — उपयोग — लाइफ
आरबीसी (पैक सेल)– खून की कमी होने पर — 42 दिन
प्लेटलेट्स –डेंगू व कैंसर मरीजों के लिए –5 दिन
प्लाज्मा–पीलिया व जले हुए मरीजों के लिए — 1 साल
क्रायो –हीमोफीलिया के मरीजों के लिए –1 साल
वर्जन
ब्लड बैंकों को अत्याधुनिक बनाया जाना है। खून के सभी तत्व अलग होने से प्रदेश में खून की कमी दूर हो सकेगी।
– डा. प्रभुराम चौधरी, स्वास्थ्य मंत्री
अपराध है पूरा खूून चढ़ाना
आज के समय में जब खून के तत्व अलग करने की सुविधा है, ऐसे में पूरा खून चढ़ाना अपराध है। मरीज को जिस तत्व की जरूरत नहीं है, वह भी चढ़ाया जा रहा है।