उमेश बागरेचा
बालाघाट (पद्मेश न्यूज)। विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने में अब मात्र चंद माह शेष रह गए है, ऐसे में चुनावी हलचल शुरू हो जाना स्वाभाविक है। प्रदेश से लेकर जिला स्तर पर चुनावी गतिविधियां शुरू हो चुकी है। जिले की 6 विधानसभा सीटों के लिए प्रत्याशियों की उम्मीदवारी को लेकर राजनैतिक गलियारों में चर्चाएं जोरों पर है। जिले की 6 सीटो में से तीन सीटे क्रमश: बैहर, किरनापुर, कटंगी कांग्रेस की झोली में है ,दो सीट क्रमश: बालाघाट एवं परसवाड़ा भाजपा की झोली में है जबकि 6 वीं सीट वारासिवनी पर निर्दलीय विधायक है । मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार भाजपा द्वारा कराए गये सर्वे अनुसार उसके वर्तमान सिटिंग विधायकों में 60 से 70 विधायकों की 2023 के चुनाव के लिए स्थिति अच्छी नहीं है, बालाघाट की 6 सीटों को लेकर भी सर्वे में स्थिति चिंताजनक है। परसवाड़ा से तो सिटिंग विधायक एवं प्रदेश में मंत्री रामकिशोर कावरे का प्रत्याशी होना तो तय ही है। बालाघाट सीट से वर्तमान विधायक एवं आयोग अध्यक्ष ने तो घोषणा ही कर दी है कि वह चुनाव नहीं लड़ेंगे,उनके स्थान पर उनकी बेटी मौसम हरिनखेड़े चुनाव लडेंगी, लेकिन भाजपा आलाकमान क्या फैसला लेता है ये तो बाद में ही पता चल पाएगा। लांजी, वारासिवनी एवं कटंगी में भाजपा का प्रत्याशी कौन होगा इसे लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। लांजी वि.स. सीट के लिए गौरीशंकर बिसेन लगातार मंचों से रमेश भटेरे को प्रत्याशी घोषित कर रहे हैं। श्री भटेरे लांजी से एक बार विधायक रह चुके हैं और पिछले 2019 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। भाजपा गलियारों से छनकर आ रही खबरों के अनुसार उन्हें 2023 में प्रत्याशी बनाए जाने को लेकर प्रश्नचिन्ह लगा हुआ है, कांग्रेस की सिटिंग विधायक के सामने उन्हे कमजोर प्रत्याशी माना जा रहा है ऐसे में अन्य नामों पर भी संभावनाएं तलाशी जा रही है। वारासिवनी में वर्तमान विधायक प्रदीप जायसवाल जिन्हे सिटिंग विधायक होते हुए भी 2019 में कांग्रेस ने प्रत्याशी नहीं बनाया था निर्दलीय लड़कर जीते थे और वर्तमान में उन्होंने भाजपा को समर्थन दे रखा है जिसके एवज में भाजपा ने उन्हे निगम अध्यक्ष पद से नवाजा है, के बारे में अभी स्पष्ट नहीं है कि वह किस पार्टी से चुनाव मैदान में उतरेंगे। क्या भाजपा उन्हें प्रत्याशी बनाएगी या क्या कांग्रेस उनकी घर वापसी कराएगी या एक बार फिर उन्हें निर्दलीय ही मैदान में उतरना पड़ेगा? अपने अस्तित्व को बचाने के लिये उन्हे चुनाव तो लडऩा ही पड़ेगा। भले ही श्री जैसवाल ने भाजपा को समर्थन दे रखा हो लेकिन आज भी भाजपाइयों ने उनसे किनारा करके रखा हुआ है तथा उनके पास कार्यकर्ताओं की जो फौज है वह आज भी कांग्रेस की है। पार्टी में भाजपा के प्रत्याशी को लेकर अभी स्थिति साफ नहीं है अभी तक कोई ऐसा नाम सामने नहीं आया है जो प्रभावशाली हो, कुछ अन्य नामों को लेकर भी क्षेत्र के राजनैतिक गलियारों में चर्चाएं व्याप्त है। बैहर में कांग्रेस के सिटिंग विधायक संजय उईके को टक्कर दे सके भाजपा ऐसे नामों की ओर देख रही है । बैहर बालाघाट की एक ऐसी विधानसभा सीट है जहां लगभग 4 दशकों से दो ही परिवार राज करता आया है, उनमें से एक वर्तमान विधायक संजय उईके का परिवार और दूसरा भूतपूर्व विधायक भगत नेताम का परिवार है। इस बार 2023 के लिए भी नेताम परिवार भाजपा से दावेदारी में है लेकिन इस सीट पर भी भाजपा अन्य चेहरों में संभावनाएं तलाश रही है। कटंगी एक ऐसा क्षेत्र है जहां से बोधसिंह भगत जो सांसद रह चुके है, का नाम संभावित प्रत्याशी के रूप में कांग्रेस-भाजपा दोनों ही प्रतिद्वंदी दलों में चल रहा है । बोधसिंह भाजपा से सांसद बने थे वर्तमान में पार्टी से बाहर किए हुए हैं। बालाघाट विधायक गौरीशंकर बिसेन उनके घोर विरोधी है आपस में उनकी दुश्मनी जग जाहिर है। बोधसिंह भी अभी राह देख रहे हैं शायद कि भाजपा-कांग्रेस में से कौन उन्हें गले लगाता है वैसे कांग्रेस का एक खेमा उन्हें कटंगी से प्रत्याशी बनाने लालायित है लेकिन बात अभी तक आगे बढ़ नहीं पाई है, हो सकता है शायद बोधसिंह पहले भाजपा में अपनी संभावनाएं तलाश रहे हो। वर्तमान विधायक तामलाल सहारे जो कांग्रेस से है वृद्धावस्था के चलते चुनाव नहीं लडऩे की बात कह चुके हैं। कटंगी के लिए भाजपा से और भी नामों पर चर्चाएं चल रही है। कुल मिलाकर यह कि परसवाड़ा के सिटिंग विधायक रामकिशोर की विधानसभा सीट को छोड़कर शेष 5 विधानसभा क्षेत्र में भाजपा की ओर से प्रत्याशी कौन होंगे यह अभी भविष्य के गर्भ में है। लेकिन जिले की राजनीति में रुचि रखने वाले मतदाताओं, राजनैतिक दलों के नेता, कार्यकर्ताओं तथा मीडिया में संभावित प्रत्याशियों को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है ।