शहर के देवी तालाब पर किए गए अतिक्रमण प्रकरण की सुनवाई के मामले में एनजीटी ने आदेश सुनाते हुए देवी तालाब प्रकरण में किसी भी तरह के अतिक्रमण नही हटा हटाए जाने का आदेश दिया गया है।
एनजीटी द्वारा दिए गए आदेश के अनुसार देवी तालाब निजी भूस्वामी की संपत्ति है इसके अनुसार इस प्रकरण में उनकी ओर से किसी भी तरह का कोई आदेश फिलहाल नहीं दिया जा सकता। इस दौरान एनजीटी ने इस बात को स्पष्ट कर दिया कि इस पूरे प्रकरण में राज्य शासन और बालाघाट जिला प्रशासन द्वारा अग्रिम कार्यवाही की जाएगी।
आपको बता दें कि एनजीटी में दर्ज की गई याचिका के दौरान इस बात का उल्लेख किया गया है कि शहर के भीतर 7 बड़े तालाब हैं जिसमें आमा तालाब जिसका रकबा 8 एकड़ से अधिक बताया गया है। पुलिस लाइन तालाब रकबा 3 एकड़। मेहरा तालाब रकबा लगभग 4 एकड़। मोती तालाब रकबा लगभग 52 एकड़। धोबी तालाब रकबा लगभग 6 एकड़। देवी तालाब रकबा लगभग 16 एकड़, दरी तलाब रकबा लगभग साडे 4 एकड़ दर्शाया गया है। हालांकि वर्तमान परिवेश में अमूमन सभी तालाबों का रकबा कम हो चुका है।
जिला मुख्यालय में स्थित 7 तालाबों में 6 तालाब मध्य प्रदेश शासन के हैं तो वहीं देवी तालाब के विषय में इस बात का उल्लेख किया गया है यह तालाब ऋषभ डेवलपर और अन्य बिल्डर्स का है।
हालांकि इस आदेश में इस बात का कहीं भी उल्लेख नहीं किया गया है कि देवी तालाब का वर्तमान रकबा कितना है और आगामी दिनों में मध्यप्रदेश शासन और बालाघाट जिला प्रशासन को किस तरह से कोई कदम उठाए जाने हैं।
जिससे देवी तालाब के किनारे बसे व्यवसायिक प्रतिष्ठान और अन्य लोगों के लिए राहत भरी खबर यही है कि फिलहाल देवी तालाब के अतिक्रमण पर एनजीटी ने गेंद राज्य शासन और जिला प्रशासन के पाले में डाल दी है।