इंस्ताबुल: तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन ने इस हफ्ते तीन देशों की यात्रा की है। इंडोनेशिया, मलेशिया और पाकिस्तान। इन तीनों देशों में तुर्की के राष्ट्रपति का गहरा असर देखा गया। इस दौरान इन देशों ने तुर्की की रक्षा कंपनियों के साथ कई हथियार समझौते किए हैं। जिनका असर आगे जाकर देखे जाने की उम्मीद है। माना जा रहा है इन सौदौं से तुर्की की डिफेंस इंडस्ट्री को काफी फायदा होने वाला है। तुर्की के राष्ट्रपति के एशिया दौरे के दौरान उनके साथ विदेश मंत्री हकन फिदान, राष्ट्रीय रक्षा मंत्री यासर गुलर, उद्योग एवं प्रौद्योगिकी मंत्री मेहमत फतिह कासिर, कृषि एवं वानिकी मंत्री इब्राहिम युमकली और व्यापार मंत्री ओमर बोलत भी शामिल थे।
तुर्की की मीडिया के मुताबिक एर्दोगन ने मलेशिया की यात्रा के दौरान 11 समझौतों पर हस्ताक्षर किए। इनमें से एक देसन शिपयार्ड और मलेशियाई गृह मंत्रालय के बीच बहुउद्देशीय मिशन जहाजों की खरीद के लिए प्रारंभिक समझौता किया गया है। हालांकि ये समझौता कितने अरब डॉलर का है, फिलहाल इसका खुलासा दोनों ही पक्षों की तरफ से नहीं किया गया है। मलेशियाई सरकार ने कहा है कि यह जहाज 2027 की पहली तिमाही में पूरी तरह से ऑपरेशनल होने की उम्मीद है। इस जहाज की क्षमता लगातार 30 दिनों तक गहरे समुद्र में काम करने की होगी। इसके जहाज पर मौजूद विशेषताओं में एक हेलीडेक, दो हवाई ड्रोन और चार तेज इंटरसेप्टर बोट शामिल हैं।
एशियाई देशों के साथ तुर्की की डिफेंस डील
मलेशियाई नौसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि “यह 99 मीटर लंबा जहाज है, जो 70 चालक दल के सदस्यों और 30 यात्रियों को ले जाने में सक्षम है। यह जहाज दक्षिण चीन सागर में गतिविधियों की निगरानी पर ध्यान केंद्रित करेगा। इसके अलावा विशेष रूप से विदेशी जहाजों की घुसपैठ, अवैध मछली पकड़ने की गतिविधियों और तस्करी और मानव तस्करी जैसे सीमा पार अपराधों का मुकाबला करने का काम करेगा।” जहाज निर्माण प्रोजेक्ट तुर्की में चल रही एलएमएस बैच 2 कार्वेट निर्माण परियोजना का एक अतिरिक्त हिस्सा है, जिसका नेतृत्व एसटीएम शिपयार्ड कर रहा है।