एससीओ बैठक में भारत और पाक के विदेश मंत्री एक टेबल पर हुए रूबरू चीन-रूस के विदेश मंत्रियों ने भी की शिरकत

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खटास के बीच भारत-पाकिस्तान के बीच शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में दोनों देशों के विदे्श मंत्री एक दूसरे से रुबरू हुए। यह बैठक शुक्रवार को उज्बेकिस्तान के ताशकंद में हुई। इस दौरान भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और पाकिस्तानी समकक्ष बिलावल भुट्टो एक टेबल पर साथ बैठे। रूस और चीन के विदेश मंत्री भी अन्य सदस्य देशों के नेताओं के साथ बैठे नजर आए। पाकिस्तान में शहबाज शरीफ के नेतृत्व में नई सरकार बनने के बाद ये पहला मौका है, जब भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्री एकसाथ बैठे हैं। एससीओ के विदेश मंत्रियों की यह बैठक उज्बेकिस्तान के समरकंद में आगामी 15 और 16 सितंबर को होने जा रहे एससीओ शिखर सम्मेलन का अजेंडा और दस्तावेज फाइनल करने के लिए हुई है। इस शिखर सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के भी शामिल होने की संभावना है।
पाकिस्तान में इमरान खान सरकार गिरने के बाद बनी नई सरकार भारत से संबंध सुधारने को लेकर उत्सुक दिख रही है। विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने पिछले दिनों भारत के साथ दोस्ताना संबंध बहाल करने की जोरदार वकालत की थी। उन्होंने कहा ​था कि नई दिल्ली के साथ संबंध तोड़ना देश हित में नहीं है क्योंकि पाकिस्तान पहले से ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग है। इमरान खान की सरकार के दौरान भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में काफी कड़वाहट देखी गई ​थी लेकिन बिलावल के बयानों से लगा है कि पाकिस्तान अब संबंधों को सुधारने की तरफ कदम बढ़ा रहा है। हालांकि भारत लगातार कहते रहा है कि आतंक और बातचीत एक साथ नहीं हो सकते।
एससीओ के विदेश मंत्रियों की बैठक में चीन के विदेश मंत्री वांग यी भी शामिल हुए। भारत के लद्दाख में एलएसी पर चीन की पिछले कुछ समय में बढ़ी गतिविधियों के बीच ये मुलाकात हुई है। एक दिन पहले ही भारत ने चीन द्वारा श्रीलंका में तैयार किए गए हंबनटोटा बंदरगाह को सैन्य अड्डे की तरह इस्तेमाल किए जाने पर आपत्ति जताई थी। 1.5 अरब डॉलर की लागत से बना ये बंदरगाह एशिया और यूरोप के बीच शिपिंग रूट के नजदीक है। इस पोर्ट की तरह चीन के रिसर्च और सर्वे करने वाले एक जहाज को आते देखा गया है। भारत ने इसे लेकर श्रीलंका से भी आपत्ति दर्ज कराई है। देखने वाली बात ये होगी कि भारत और चीन के विदेश मंत्रियों के बीच एससीओ बैठक के इतर अलग से द्विपक्षीय बैठक होगी या नहीं। दो दशक पुराने संगठन एससीओ का अध्यक्ष इस वक्त उज्बेकिस्तान है। इस संगठन में रूस, चीन, भारत, पाकिस्तान और चार अन्य मध्य एशियाई देश कजाखस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं। एससीओ का अगला शिखर सम्मेलन अगले साल भारत में होना है।

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