नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों के जंगल के क्षेत्रफल में कमी लाने वाले हर काम पर रोक लगा दी है। यह फैसला वन (संरक्षण एवं संवर्धन) नियम, 2023 को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान आया। याचिका में केंद्र सरकार की ओर से वन (संरक्षण) अधिनियम में किए गए संशोधनों के कारण 1.97 लाख वर्ग किमी जमीन के वन क्षेत्र से बाहर होने का आरोप लगाया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए कहा कि अगर किसी जरूरी काम के लिए वन भूमि का इस्तेमाल करना ही पड़े, तो पेड़ लगाने के लिए दूसरी जमीन देनी होगी। जस्टिस बी आर गवई और के विनोद चंद्रन की पीठ ने साफ किया कि वो वन क्षेत्र में कमी लाने वाली किसी भी बात की इजाजत नहीं देंगे। पीठ ने कहा, ‘हम आदेश देते हैं कि अगले आदेश तक, भारत सरकार और किसी भी राज्य द्वारा ऐसा कोई कदम नहीं उठाया जाएगा जिससे वन भूमि में कमी आए।’
यह मामला कुछ याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सामने आया, जिनमें से एक याचिका सेवानिवृत्त भारतीय वन अधिकारियों के एक ग्रुप की ओर से दायर की गई थी। इन याचिकाओं में संशोधन को चुनौती देते हुए आरोप लगाया गया था कि इससे बड़े पैमाने पर वनों का कानूनी संरक्षण खत्म हो गया है और वे गैर-वन उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किए जाने के लिए असुरक्षित हो गए हैं। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि कानून में बदलाव से भारत की दशकों पुरानी वन शासन व्यवस्था कमजोर हो जाएगी और यह सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी उल्लंघन होगा क्योंकि इससे वन भूमि की परिभाषा कम हो जाएगी।