ऑस्ट्रेलिया भारत से विदेश पढ़ने जाने वाले छात्रों के लिए बड़ा आकर्षण है। लेकिन ये भारतीय छात्र सपने पूरे करने के लिए चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। आर्थिक परेशानियों के साथ ही उन्हें शारीरिक और मानसिक शोषण का सामना करना पड़ रहा है।
गुजरात के अहमदाबाद के सागर पटेल इरादा लेकर आए थे कि वे नौकरी करके अपनी फीस और बाकी खर्च का इंतजाम खुद करेंगे। वे बताते हैं, “दोस्तों से मैंने सुना था कि ऑस्ट्रेलिया में जाते ही नौकरी मिल जाती है। लेकिन सिडनी आए तीन हफ्ते बीत चुके हैं। उनके पैसे खत्म होने वाले हैं और उनके पास नौकरी नहीं है। क्लीनिंग, वॉशिंग का काम भी नहीं मिल रहा।”
बिना जानने वालों के घर मिलना मुश्किल
एशियन इंटरनेशनल स्टूडेंट्स ऑफ ऑस्ट्रेलिया के उपाध्यक्ष नवनीत मित्तल ने भास्कर से कहा कि सबसे बड़ी चुनौती घर खोजना है। यूनिवर्सिटी के पास हॉस्टल में जगह बहुत सीमित हैं। अगर किसी का जानकार यहां नहीं है, तो उसे घर मिलना कठिन है। किराये पर कमरे के लिए बॉन्ड, गारंटी देनी पड़ती है। जिसमें बड़ी रकम लगती है।
मकान मालिक ने परेशान किया, बॉन्ड की रकम भी नहीं लौटाई
वोलोनगॉन्ग यूनिवर्सिटी में पढ़ने वालीं अंकिता बताती हैं, “मैंने अपनी एक दोस्त की मदद से रूम लिया था लेकिन वहां मकान मालिक ने मुझे परेशान करना शुरू कर दिया तो मेरे पास रूम छोड़ने के अलावा कोई रास्ता नहीं रहा। उसने बॉन्ड की रकम लौटाने से भी इनकार कर दिया।” उनके पास कहीं जाने को जगह नहीं थी।
कड़ी शर्तों से जरा सी गलती पर वीजा रद्द हाेने का खतरा
माइग्रेशन एंड एजुकेशन एक्सपर्ट कंपनी की डाइरेक्टर चमन प्रीत बताती हैं कि वीजा हमेशा छात्रों के सिर पर तलवार की तरह लटकता रहता है। उसकी शर्तें इतनी कड़ी हैं कि छोटी सी गलती पर भी वह रद्द हो सकता है। और ऐसा होने पर ये स्टूडेंट कहीं के नहीं रहते। पिछले साल इन शर्तों के कारण छात्रों को वीजा नहीं मिल रहा था।