‘और भई क्या चल रहा है’ शो में कॉमेडी के साथ सद्भावना भी है, इसलिए इससे जुड़ा- राजू श्रीवास्तव

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कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव एक बार फिर एक्टिंग की तरफ रुख किए हैं। वे एंड टीवी के धारावाहिक ‘और भई क्या चल रहा है?’ में अभिनय करते नजर आएंगे। शो में वे बचपन के दोस्त बिट्‌टू कपूर के दोस्त राजू की भूमिका में होंगे। इसके अलावा वे बहुत जल्द एक हास्य शो भी लेकर आने वाले हैं। एक्टिंग से लेकर शो तक हुई उनसे खास बातचीत। पढ़िए प्रमुख अंश:

वर्षों बाद एक्टिंग करने जा रहे हैं। कैसे जुड़ना हुआ?
एक्चुअली, एंड टीवी का कॉल आया। इस शो के एक्टर अनु अवस्थी ने भी फोन किया। उन्होंने कहा कि आपके पास चैनल का फोन आया होगा। अगर आप आएंगे, तब और मौज आ जाएगा। उन्होंने थोड़ी कहानी बताई, तब इससे जुड़ने का मन हो गया। शो में एक मिश्रा जी का परिवार दिखाया है और दूसरा मिर्जा का परिवार है। हिंदू-मुस्लिम, दो परिवार एक ही मकान में रहते हैं, बीच में सिर्फ एक दीवार है। दोनों के बीच नोंक-झोंक होती है और खुशी-खुशी रहते भी हैं। देखा कि इसमें कॉमेडी के साथ-साथ इसमें सद्भावना भी है। कुल मिलाकर अच्छा लगा, सो कर लिया।

आपका कैसे कैरेक्टर है?
इसमें मेरा कैरेक्टर बिट्‌टू के बचपन का पक्का दोस्त बताया गया है। लेकिन मेरा कैरेक्टर उसे बीच-बीच में तकलीफ दे जाता है। बिट्‌टू अपनी शादी तय करवाने के लिए अपने दोस्त यानी मुझे ले जाता है। वहां पर सारी बातें अच्छी चल रही होती हैं कि मेरे मुंह से बचपन की कोई ऐसी बात निकल जाती है, जो उसके खिलाफ होती है। इससे उसकी शादी टूट जाती है। अब तक मेरी वजह से उसकी पांच शादी टूट गई, फिर भी मुझे ही ले जाता है।

रियल लाइफ बचपन की कोई ऐसी दोस्ती की बात, जो मजेदार रही हो?
स्कूली दिनों में क्लास बंक करके कुछ दोस्तों के साथ फिल्म देखने चले जाते थे। हमारा एक पक्का दोस्त था, लेकिन वह जाकर स्कूल में बता देता था कि आज फलां फिल्म देखने गए हैं। सारे दोस्तों पर शक करता था, लेकिन पता नहीं चलता था कि आखिर किसने बताया। यह तो बड़े होने के बाद उसने बताया कि यार! हमारी वजह से तुम कई बार मार खाए हो। तब जाकर पता चला कि वह हमारी खबर देता था। फिर भी दोस्त तो बचपन में ही बनते हैं। बड़े होकर तो सहयोगी और बिजनेस पार्टनर आदि बनते हैं।

इंडिया में चल रहे हास्य कांसेप्ट पर क्या कहेंगे? कॉमेडी में फर्क क्या पाते हैं?
इस समय हास्य अच्छा चल रहा है। अब लोग अपने ऊपर भी हास्य लेने लगे हैं। पहले किसी का मजाक उड़ाओ तो बुरा मान जाता था। जोक के चक्कर में कभी लालू प्रसाद यादव के लोगों ने शेखर सुमन पर नाराजगी जताई थी। लेकिन अब किसी पर मजाक करो, तब वह खुद भी हंसने लगता है। जिस पर जोक सुनाते हैं, वह उस जगह पर विशेष व्यक्ति बन जाता है। अब डॉक्टर भी हंसने-हंसाने के महत्व को बताने लगे हैं। चाहे योगी जी हों या मोदी जी, राजनाथ सिंह जी हों। उनसे मुलाकात होती है, तब कहते हैं कि सबसे पहले तो हमें हंसा दीजिए, फिर काम की बात करेंगे। आज लाइफ फास्ट हो गई है, उसका असर हमारी कॉमेडी पर भी आया है। मैं तो एक ही नारा लेकर चला हूं- आजाद रहो विचारों से, पर बंधे रहो अपने संस्कारों से। इतना-सा सेंसर सब लोग अपने ऊपर लगा लें कि मेरी कॉमेडी घर-परिवार के समस्त सदस्य एक साथ बैठकर बेहिचक देख सकते हैं।

आप पहले भी एक्टिंग कर चुके हैं। फिर एक्टिंग को सीरियस क्यों नहीं लिए?
जब एक्टिंग कर रहा था, तब उस जमाने में फिल्म ही विकल्प था। लेकिन तरक्की के साथ चैनल और अन्य प्लेटफॉर्म आने लगे। अब तो टीवी के बाद वेब सीरीज आ गया। इस तरह समय के साथ अपने आपको मोल्ड करते गए। समय की मांग के साथ अपने आपको फिल्मों से दूर किया और टेलीविजन को अपना लिया।

क्या निकट भविष्य में कोई हास्य शो लेकर आने वाले हैं?
हां, एक शो हंसते रहो विद राजू श्रीवास्तव शुरू करने जा रहा हूं। इसमें स्टैंडअप कॉमेडी भी होगी। नए स्टैंडअप कॉमेडियन भी आएंगे। हर एपिसोड में एक गेस्ट भी होगा, उसका मजाकिया अंदाज में इंटरव्यू भी लेंगे। इसे ओटीटी प्लेटफॉर्म पर लाने के लिए सोच रहे थे, लेकिन कई टीवी चैनल से भी प्रस्ताव आए हैं। अभी तक एक एपिसोड बनाया है, वह एडिट हो रहा है। पहले एपिसोड में मेरा स्टैंडअप है और सुधा चंद्रन, किरण कुमार और शक्ति कपूर का इंटरव्यू लिए हैं। इसमें अशोक मिश्रा आदि का परफॉर्मेंस हैं।

अच्छा, आपका नाम सत्यप्रकाश श्रीवास्तव था। कब और कैसे राजू श्रीवास्तव हो गए?
मेरा स्कूल-कॉलेज का नाम सत्यप्रकाश है, जबकि घर पर बुलाने का नाम राजू ही था। जब इस फील्ड में आए, तब मुझे लगा कि प्रोड्यूसर, डायरेक्टर को अपना ऐसा नाम बताना चाहिए, जो तुरंत उन्हें आसानी से याद रहे। राजू के साथ एक अपनापन भी है। इस तरह राजू को आगे कर लिया और उसमें अपना सरनेम जोड़ लिया। अब तो लिखा-पढ़ी में सब जगह मेरा नाम राजू श्रीवास्तव हो गया।

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