रूस और यूक्रेन के बीच गुरुवार की सुबह से शुरू हुए युद्ध की सूचना जैसे ही लोगों को पता चली। सबकी नजरें यूक्रेन पर टिक गई। वहीं जिले के जवा थाना के रामबाग के रहने वाले बुद्धीसागर तिवारी से लोग संपर्क कर उनके पुत्र की खैरियत पूछने लगे। बता दें कि उनका पुत्र तरनोपिल स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस की पढ़ाई करता है। मंगलवार देर शाम वह जैसे-तैसे यूक्रेन की राजधानी कीव पहुंच गया था। वहां पर उसने प्राइवेट एजेंट के जरिए 4 गुना ज्यादा कीमत में न केवल टिकट खरीदी बल्कि वहां से रवाना हो गया। प्रज्जवल के पिता का दावा है कि रूस ने एयरपोर्ट के समीप जिस होटल पर हमला किया है उस होटल में उनका पुत्र रुका था। गनीमत यह रही कि जिस समय हमला हुआ वह वहां से निकल चुका था।
सरकार ने नहीं की कोई मदद: बातचीत करते हुए बुद्धीसागर तिवारी बताते हैं कि प्रज्जवल बताया था कि भारत सरकार से अपेक्षा थी कि वह हमारी मदद करेगी, लेकिन हमें अपने बूते पर ही यहां से निकलने के प्रयास करना पड़ा। इंडियन एम्बेसी ने गत 14 फरवरी को फेसबुक पर एक एडवाइजरी जारी की थी। जिसमें कहा गया कि छात्र और अन्य लोग अस्थाई तौर पर यूक्रेन छोड़ दें। इसके जवाब में हमने कई बार मेल किए। जिसका सिर्फ एक जवाब आया- ‘हम यूनिवर्सिटी के संपर्क में हैं।’ जबकि हम यह चाहते हैं कि क्लासेस ऑनलाइन हो जाएं, ताकि पढ़ाई न रुके, लेकिन भारत सरकार ने कोई मदद नहीं की।
खर्च करना पड़ा 4 गुना किराया: प्रज्जवल के पिता बुद्धीसागर ने नईदुनिया से बातचीत करते हुए बताया कि यूक्रेन में भारत के 20 हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स मेडिकल व इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं। यूक्रेन के ट्रैवल एजेंट ने हमारी मदद की । उन्होंने चार्टर्ड फ्लाइट्स भी अरेंज कराई। किराया तीन से चार गुना हो गया है। जिस पर सवार होकर हम वहां से निकल सके हैं। सामान्य तौर पर कीव से दिल्ली का किराया 81 हजार रुपए है, लेकिन एयर इंडिया की फ्लाइट का किराया ज्यादा था। भारत सरकार से हमें कोई मदद नहीं मिली है। हम चार गुना पैसा खर्च करके बेटे को वापस बुला रहे हैं। गुरुवार की शाम तक वह दिल्ली पहुंच जाएगा। यूक्रेन एयर लाइंस की फ्लाइट में टिकिट मिल गई थी। यह फ्लाइट कजाकिस्तान तक आ गया है। वहां से वह दूसरी फ्लाइट से दिल्ली आ रहा है। दोनों फ्लाइट का किराया 2 लाख 47 हजार रुपए लगे है।