कर्नाटक के कुछ मंदिरों में होने वाली सलाम आरती का नाम बदल दिया गया है। अब इसे संध्या आरती के नाम से जाना जाएगा। यह फैसला हिंदुत्व संगठनों की मांग पर लिया गया। इन संगठनों ने राज्य सरकार से टीपू सुल्तान के नाम पर होने वाले अनुष्ठानों को खत्म करने की मांग की थी, जिसमें सलाम आरती भी शामिल थी।
हिंदू मंदिरों की देखरेख करने वाले स्टेट अथॉरिटी मुजरई ने शनिवार को छह महीने पुराने प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
माना जाता है कि 18वीं शताब्दी में मैसूर शासक टीपू ने इन मंदिरों में अपनी यात्रा के दौरान आरती का नामकरण किया था।
पहले जानिए क्या है पूरा मामला
मेलकोट में ऐतिहासिक चालुवनारायण स्वामी मंदिर है। जहां हैदर अली और उसके बेटे टीपू सुल्तान के शासनकाल से हर दिन शाम 7 बजे सलाम आरती (मशाल सलामी) होती आ रही है। स्कॉलर और कर्नाटक धर्मिका परिषद के सदस्य कशेकोडि सूर्यनारायण भट ने इसका नाम बदलने की मांग की थी। भट ने कहा था सलाम शब्द हमारा नहीं टीपू का दिया हुआ है।
मांड्या जिला प्रशासन ने इस प्रस्ताव को हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग (मुजरई) को सौंप दिया था।
सभी मंदिरों पर लागू होगा आदेश
हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग (मुजरई) सीएम बसवराज बोम्मई से अंतिम मंजूरी मिलने का इंतजार कर रहा है। इस कदम के बाद जल्द ही एक आधिकारिक आदेश जारी किया जाएगा, जिसके बाद न केवल मेलकोट में बल्कि कर्नाटक के सभी मंदिरों में आरती सेवाओं का नाम बदल दिया जाएगा।
मुजरई मंत्री शशिकला जोले ने कहा, “इन फारसी नामों को बदलने और मंगला आरती नमस्कार या आरती नमस्कार जैसे पारंपरिक संस्कृत नामों को बनाए रखने के प्रस्ताव और मांगें थीं। इतिहास को देखें तो हम वही वापस लाए हैं जो पहले चलन में था।”
विश्व हिंदू परिषद भी कर चुका है मांग
इससे पहले विश्व हिंदू परिषद ने कोल्लूर मंदिर के अधिकारियों से सुधार के लिए जाने और अनुष्ठान को “प्रदोष पूजा” कहने का आग्रह किया था। हालांकि, मंदिर के कार्यकारी अधिकारी ने स्पष्ट किया था कि मंदिर के रिकॉर्ड में कहीं भी शाम की आरती का नाम “सलाम मंगलाआरथी” नहीं था।