आदिवासी वनांचलो में निवासरत विशेष जनजाति बैगा, अदिवासियो के उत्थान और उनके जीवन निर्वाह के लिए शासन प्रशासन द्वारा अनेक प्रकार की योजनाएं चलाई जा रही हैं । जिनके बल पर सरकार बैगाओं का उत्थान किए जाने का दावा करती है। लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है। दरअसल बैगाओं के उत्थान के लिए जो योजनाएं शासन प्रशासन द्वारा चलाई जा रही हैं उनमें से कई ऐसी योजना है जिनका लाभ बैगा जनजाति के लोगों को नहीं मिल पा रहा है । जिसके चलते बैगा जनजाति के लोग आज भी बदहाल जिंदगी जीने को मजबूर हैं यहां तक कि अतिपिछड़ी विशेष जनजाति बैगा महिलाओं को पोषण आहार योजना का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है। जिसके चलते वे आए दिन शासकीय कार्यालयों के चक्कर काटने पर मजबूर हैं। तो वही वनांचलो में पिछले कई वर्षों से बांस कटाई का काम करने वाले आदिवासी, बैगा जनजाति के लोगों को अब तक शासन द्वारा बोनस की राशि का भुगतान नहीं किया गया है। जिससे उन्हे आर्थिक व मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और वे आज भी बोनस की मांग को लेकर शासकीय कार्यालयों के चक्कर काटते नजर आ रहे हैं। जिसक एक नजारा शुक्रवार को कलेक्टर कार्यालय में देखने को मिला । जहां गढ़ी क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले विभिन्न गांवों से आए ग्रामीणों ने कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर उन्हें योजनाओं का लाभ दिलाए जाने की मांग की।
कई महिलाएं अभी पोषण आहार योजना से वंचित
उक्त मांग को लेकर कलेक्टर कार्यालय पहुंची ग्रामीण महिलाओं ने बताया कि उन्हें शासन द्वारा प्रतिमाह पोषण आहार के रूप में 1000 रु की राशि दिए जाने का नियम है योजना के तहत उन्हें प्रतिमाह 1000 रु की राशि मिलनी चाहिए। लेकिन किसी महीने वह राशि मिलती है तो दो-तीन महीनों तक दोबारा राशि नहीं मिलती। जिससे उन्हें आर्थिक व मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है इसके अलावा ऐसी कई बैगा आदिवासी महिलाएं हैं जिन्हें अब तक इस योजना में शामिल नहीं किया गया है। महिलाओं ने बताया कि कई बार आवेदन करने के बाद भी उन्हें बैगा पोषण आहार योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है जिसके चलते वे अपने बच्चों का लालन-पालन ठीक ढंग से नहीं कर पा रही है।
राशि ना मिलने से हो रही परेशानी- समारा बाई
मामले को लेकर की गई चर्चा के दौरान
ग्राम चिखलाबर्डी निवासी समारा बाई ने बताया कि उन्हें बैगा के नाम से जो 1000 रु की राशि मिलती है वह समय पर नहीं मिलती हैं। 3 से 4 महीने में 1 बार ₹1000 मिलते हैं। जबकि उन्हें हर महीने ₹1000 मिलने चाहिए । लेकिन विगत 3 महीने से राशि नहीं मिली है । जिन्हें पैसे नहीं मिलने से जीवन यापन करने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। जहां उन्होंने कलेक्टर से गुहार लगाई है उन्हें हर महीने पैसे मिल जाए।
प्रतिमाह की जगह 3 महीने में मिलती है हजार रुपए की राशि- अनीता भाई
इस पूरे मामले को लेकर की गई चर्चा के दौरान ग्राम चिखलाबर्डी निवासी अनिता बाई मेरावी ने बताया कि बैगा पैसा करीब 3 महीनों से नहीं मिला है जहां भरण पोषण की राशि प्रतिमाह ना मिलने से हमे भरण पोषण में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। 3 महीने में सिर्फ एक बार 1000 रु मिलता है। पैसे नहीं मिलने पर बच्चों के भरण-पोषण व पढ़ाई लिखाई में कापी पुस्तके खरीदने में काफी परेशानियां आ रही है। जहां उन्होंने कलेक्टर से गुहार लगाई है हर महीने उनके बैंक खाते में उनकी राशि डाली जाए।
आज तक नहीं मिली बोनस की राशि-माहू बैगा
वही मामले को लेकर की गई चर्चा के दौरान ग्राम चिखलाबर्डी निवासी माहू बैगा ने बताया कि विगत कई वर्षों से वह जंगलों में बांस की कटाई का काम कर रहे है। लेकिन वन विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों के द्वारा एक बार भी बोनस नहीं दिया गया है। जबकि यह बोनस बॉस कटाई करने वाले मजदूरों को हर साल दिए जाने का नियम है। बावजूद इसके भी हमें आज तक बोनस की यह राशि हमे नहीं दी गई है। हमारी मांग है कि जल्द से जल्द बांस कटाई की बोनस राशि हमें दी जाए ।
5 ,6 वर्षों से काट रहे बांस ,आज तक नहीं मिला बोनस-हरिप्रसाद सिंह मरकाम
वही मामले को लेकर की गई चर्चा के दौरान ग्राम गढ़ी निवासी हरिप्रसाद सिंह मरकाम ने जानकारी देते हुए बताया कि 436 नवेगांव में करीब 15 से 20 लोग हैं जो करीब 5 से 6 सालों से बांस काटने का काम कर रहे हैं। लेकिन अभी तक एक भी बार उन्हें बोनस नहीं दिया गया है। जिससे उन्हें परिवार का पालन पोषण करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं दूसरी ओर कुछ और लोगों को बोनस दिया जा रहा है लेकिन हमें बोनस में दिया जा रहा है। जहां उन्होंने कलेक्टर से गुहार लगाई है कि उन्हें भी बोनस दिया जाए।